Tuesday, September 3, 2013

Murli[3-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - घर-घर को स्वर्ग बनाने की जिम्मेवारी तुम बच्चों पर है, 
सबको पतित से पावन होने का लक्ष्य देना है, दैवीगुण धारण करने हैं'' 

प्रश्न:- ईश्वरीय गोद में आने से तुम बच्चों को कौन सा अनुभव होता है? 
उत्तर:- मंगल मिलन मनाने का अनुभव ईश्वरीय गोद में आने वाले बच्चों को होता है। 
तुम जानते हो संगमयुग है ईश्वर से मिलन मनाने का युग। तुम ईश्वर से मिलन 
मनाकर भारत को स्वर्ग बना देते हो। इस समय तुम बच्चे सम्मुख मिलते हो। सारा 
कल्प कोई भी सम्मुख मिलन नहीं मना सकते। तुम्हारा यह बहुत छोटा सा ईश्वरीय 
कुल है, शिवबाबा है दादा, ब्रह्मा है बाबा और तुम बच्चे हो भाई-बहिन, दूसरा कोई संबंध नहीं। 

गीत:- नई उमर की कलियां........ 

धारणा के लिये मुख्य सार :- 

1) अन्दर के अवगुणों की जांच कर उन्हें निकालना है। संगदोष से अपनी सम्भाल करनी है। 
देवताई गुण धारण कर स्वयं को लायक बनाना है। 

2) घर-घर को स्वर्ग बनाने की सेवा करनी है। भूतों को बाप की याद से भगाना है। बाप के 
साथ मंगल मिलन मनाते रहना है। 

वरदान:- महावीर बन संजीवनी बूटी द्वारा मूर्छित को सुरजीत करने वाले शक्तिवान भव 

जैसे सूर्य स्वयं शक्तिशाली है तो चारों ओर अपनी शक्ति से प्रकाश फैलाता है, ऐसे शक्तिवान 
बन अनेकों को संजीवनी बूटी देकर मूर्छित को सुरजीत बनाने की सेवा करते रहो, तब कहेंगे 
महावीर। सदा स्मृति रखो कि हमें विजयी रहना है और सबको विजयी बनाना है। विजयी 
बनने का साधन है बिजी रहना। स्व कल्याण अथवा विश्व कल्याण के कार्य में बिजी रहो 
तो विघ्न-विनाशक वायुमण्डल बनता जायेगा। 

स्लोगन:- दिल सदा एक दिलाराम में लगी रहे-यही सच्ची तपस्या है।