मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - देह सहित सबकी याद भूल, बाप जो है जैसा है उसे यथार्थ
गीत:- दु:खियों पर रहम करो..........
धारण के लिए मुख्य सार:-
1) दिल से बाप को याद कर जायदाद की खुशी में रहना है। पूरा पावन जरूर बनना है।
2) विचार करना है - ``आत्मा कितनी छोटी है और उसमें कितना अविनाशी पार्ट नूँधा
वरदान:- अनेक प्रकार की आग से बचने और सर्व को बचाने वाले सच्चे रहमदिल भव
आज का मानव अनेक प्रकार की आग में जल रहा है, अनेक प्रकार के दु:ख, चिंतायें,
स्लोगन:- जिनकी एक बाप से सच्ची प्रीत है उन्हें अशरीरी बनना सहज है।
पहचान स्वयं को बिन्दी समझ बिन्दी रूप से बाप को याद करो''
प्रश्न:- कौन सा ज्ञान इस समय बाप से ही तुम्हें मिलता है और कोई नहीं दे सकते?
उत्तर:- तुम स्त्री-पुरूष साथ में रहते गृहस्थ व्यवहार की सम्भाल करते पवित्र रहो, यह
उत्तर:- तुम स्त्री-पुरूष साथ में रहते गृहस्थ व्यवहार की सम्भाल करते पवित्र रहो, यह
ज्ञान अभी इसी समय बाप तुम्हें देते हैं और कोई यह ज्ञान दे नहीं सकता। तुम्हें दान
तो 5 विकारों का करना है लेकिन मुख्य है काम, जिस पर पूरी विजय पानी है। सर्वशक्तिमान
बाप की याद और श्रीमत पर चलने से ही यह ताकत मिलती है।
गीत:- दु:खियों पर रहम करो..........
धारण के लिए मुख्य सार:-
1) दिल से बाप को याद कर जायदाद की खुशी में रहना है। पूरा पावन जरूर बनना है।
2) विचार करना है - ``आत्मा कितनी छोटी है और उसमें कितना अविनाशी पार्ट नूँधा
हुआ है'', बिन्दू बन बिन्दू बाप की याद में रहना है।
वरदान:- अनेक प्रकार की आग से बचने और सर्व को बचाने वाले सच्चे रहमदिल भव
आज का मानव अनेक प्रकार की आग में जल रहा है, अनेक प्रकार के दु:ख, चिंतायें,
समस्यायें.. भिन्न-भिन्न प्रकार की यह चोट जो आत्माओं को लगती है, यह अग्नि
जीते हुए जलने का अनुभव कराती है। लेकिन आप ऐसे जीवन से निकल श्रेष्ठ जीवन
में आ गये, आप शीतल सागर के कण्ठे पर बैठे हो। अतीन्द्रिय सुख, शान्ति की प्राप्ति
में समाये हुए हो, तो रहमदिल बन अन्य आत्माओं को भी अनेक प्रकार की आग से
बचाओ। गली-गली में ज्ञान स्थान बनाकर सबको ठिकाना दो।
स्लोगन:- जिनकी एक बाप से सच्ची प्रीत है उन्हें अशरीरी बनना सहज है।