Friday, September 27, 2013

Murli[27-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - देह सहित सबकी याद भूल, बाप जो है जैसा है उसे यथार्थ 
पहचान स्वयं को बिन्दी समझ बिन्दी रूप से बाप को याद करो'' 

प्रश्न:- कौन सा ज्ञान इस समय बाप से ही तुम्हें मिलता है और कोई नहीं दे सकते? 
उत्तर:- तुम स्त्री-पुरूष साथ में रहते गृहस्थ व्यवहार की सम्भाल करते पवित्र रहो, यह 
ज्ञान अभी इसी समय बाप तुम्हें देते हैं और कोई यह ज्ञान दे नहीं सकता। तुम्हें दान 
तो 5 विकारों का करना है लेकिन मुख्य है काम, जिस पर पूरी विजय पानी है। सर्वशक्तिमान 
बाप की याद और श्रीमत पर चलने से ही यह ताकत मिलती है। 

गीत:- दु:खियों पर रहम करो.......... 

धारण के लिए मुख्य सार:- 

1) दिल से बाप को याद कर जायदाद की खुशी में रहना है। पूरा पावन जरूर बनना है। 

2) विचार करना है - ``आत्मा कितनी छोटी है और उसमें कितना अविनाशी पार्ट नूँधा
हुआ है'', बिन्दू बन बिन्दू बाप की याद में रहना है। 

वरदान:- अनेक प्रकार की आग से बचने और सर्व को बचाने वाले सच्चे रहमदिल भव 

आज का मानव अनेक प्रकार की आग में जल रहा है, अनेक प्रकार के दु:ख, चिंतायें, 
समस्यायें.. भिन्न-भिन्न प्रकार की यह चोट जो आत्माओं को लगती है, यह अग्नि 
जीते हुए जलने का अनुभव कराती है। लेकिन आप ऐसे जीवन से निकल श्रेष्ठ जीवन 
में आ गये, आप शीतल सागर के कण्ठे पर बैठे हो। अतीन्द्रिय सुख, शान्ति की प्राप्ति 
में समाये हुए हो, तो रहमदिल बन अन्य आत्माओं को भी अनेक प्रकार की आग से 
बचाओ। गली-गली में ज्ञान स्थान बनाकर सबको ठिकाना दो। 

स्लोगन:- जिनकी एक बाप से सच्ची प्रीत है उन्हें अशरीरी बनना सहज है।