Sunday, September 15, 2013

Murli[15-09-2013]-Hindi

15-09-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:03-05-77 मधुबन 
कर्मों की अति गुह्य गति 


वरदान:- हर एक के स्वभाव-संस्कार को जान, टकराने के बजाए सेफ रहने वाले मा. नालेजफुल भव 

कोई भी बात को छोटा या बड़ा करना - यह अपनी बुद्धि पर है। जबकि एक दो के स्वभाव-संस्कार 
को जान गये हो तो नॉलेजफुल कभी किसी के स्वभाव-संस्कार से टक्कर नहीं खा सकते। जैसे 
किसको पता है कि यहाँ खड्डा है वा पहाड़ है तो जानने वाला कभी टकरायेगा नहीं, किनारा कर 
लेगा। ऐसे आप भी किनारा करो अर्थात् अपने को सेफ रखो। किसी काम से किनारा नहीं करो 
लेकिन अपनी सेफ्टी की शक्ति से दूसरे को भी सेफ करना - यही किनारा करना है। 

स्लोगन:- उड़ती कला का अनुभव करना है तो सदा भाग्य और भाग्य विधाता की स्मृति में रहो।