Friday, September 13, 2013

Murli[13-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप से लव और रिगार्ड रखो तो बाप की आशीर्वाद मिलती रहेगी, 
माया की जंक उतरती जायेगी'' 

प्रश्न:- इस चैतन्य बगीचे में कई फूल खिलते ही नहीं, कली के कली रह जाते हैं - क्यों? 
उत्तर:- क्योंकि पुरूषार्थ में सुस्ती है, याद करने का जो समय है उसमें सोये रहते हैं। सोने 
वाले अपना समय ऐसे ही गंवा देते हैं। जिन सोया तिन खोया। बन्द कली ही रह जाती। सदा 
गुलाब के फूल वह हैं जो देवी-देवता धर्म के आलराउन्ड पार्टधारी हैं। 

गीत:- यह वक्त जा रहा है... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सदा विकर्म विनाश करने की लगन में रहना है। कोई भी विकर्म अभी न हो, 
इसकी सम्भाल करनी है। 

2) माया की ग्रहचारी से बचने के लिए ईविल बातों से कान बन्द कर लेने हैं। अपनी चलन 
सतोप्रधान बनानी है। अन्दर बाहर साफ रहना है। 

वरदान:- अल्पकाल के संस्कारों को अनादि संस्कारों से परिवर्तन करने वाले वरदानी महादानी भव 

अल्पकाल के संस्कार जो न चाहते हुए भी बोल और कर्म कराते रहते हैं इसलिए कहते हो मेरा 
भाव नहीं था, मेरा लक्ष्य नहीं था लेकिन हो गया। कई कहते हैं हमने क्रोध नहीं किया लेकिन 
मेरे बोलने के संस्कार ही ऐसे हैं...तो यह अल्पकाल के संस्कार भी मजबूर बना देते हैं। अब 
इन संस्कारों को अनादि संस्कारों से परिवर्तन करो। आत्मा के अनादि ओरीज्नल संस्कार हैं 
सदा सम्पन्न, सदा वरदानी और महादानी। 

स्लोगन:- परिस्थिति रूपी पहाड़ को उड़ती कला के पुरूषार्थ द्वारा पार कर लेना ही उड़ता योगी बनना है।