मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - कालों का काल आया है तुम सबको वापिस ले जाने, इसलिए याद
प्रश्न:- भक्तों की कौन-सी पुकार जब बाप सुन लेते हैं तो भक्त खुश होने के बजाए दु:खी होने लगते हैं?
उत्तर:- भक्तों पर जब दु:ख आता है तब कहते हैं - हे भगवान्, मुझे इस दु:ख की दुनिया से ले चलो,
गीत:- दूरदेश का रहने वाला......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) दूरांदेशी बन कर्मबन्धन को समाप्त करना है। कोई भी हिसाब-किताब वा कर्जा है तो उसे
2) कर्मयोगी बन कर्म भी करना है, साथ-साथ 8 घण्टा स्व के पुरूषार्थ में देना है। सभी से
वरदान:- अपने अनादि संस्कारों को इमर्ज कर सर्व समस्याओं को पार करने वाले उड़ता पंछी भव
आप सब अनादि रूप में हो ही उड़ने वाले, लेकिन बोझ के कारण उड़ता पंछी के बजाए पिंजड़े
स्लोगन:- हर कदम में कल्याण समझ हर आत्मा को शान्ति की शक्ति का दान देना ही सच्ची सेवा है।
से विकर्मों का बोझा ख़त्म करो, अपनी देह से मोह निकाल दो''
प्रश्न:- भक्तों की कौन-सी पुकार जब बाप सुन लेते हैं तो भक्त खुश होने के बजाए दु:खी होने लगते हैं?
उत्तर:- भक्तों पर जब दु:ख आता है तब कहते हैं - हे भगवान्, मुझे इस दु:ख की दुनिया से ले चलो,
मेरी इस पतित दुनिया में दरकार नहीं लेकिन जब बाप पुकार सुनकर ले जाने के लिए आते हैं,
तब रोते हैं। डॉक्टर को कहते हैं ऐसी दवाई दो जो हम तन्दरूस्त हो जाएं।
गीत:- दूरदेश का रहने वाला......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) दूरांदेशी बन कर्मबन्धन को समाप्त करना है। कोई भी हिसाब-किताब वा कर्जा है तो उसे
उतार हल्का बन वारिस बन जाना है।
2) कर्मयोगी बन कर्म भी करना है, साथ-साथ 8 घण्टा स्व के पुरूषार्थ में देना है। सभी से
ममत्व जरूर मिटाना है।
वरदान:- अपने अनादि संस्कारों को इमर्ज कर सर्व समस्याओं को पार करने वाले उड़ता पंछी भव
आप सब अनादि रूप में हो ही उड़ने वाले, लेकिन बोझ के कारण उड़ता पंछी के बजाए पिंजड़े
के पंछी बन गये हो। अब फिर से अनादि संस्कार इमर्ज करो अर्थात् फरिश्ते रूप में स्थित रहो,
इसी को ही सहज पुरूषार्थ कहा जाता है। उड़ता पंछी बनेंगे तो परिस्थितियां नीचे और आप
ऊपर हो जायेंगे। यही सर्व समस्याओं का समाधान है।
स्लोगन:- हर कदम में कल्याण समझ हर आत्मा को शान्ति की शक्ति का दान देना ही सच्ची सेवा है।