Tuesday, September 24, 2013

Murli[24-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - कोई भी भूल हो तो बाप से छिपाओ मत, अगर छिपायेंगे 
तो छिपाते-छिपाते स्वयं भी छिप जायेंगे'' 

प्रश्न:- बिगड़ी को बनाने वाला बाप तुम बच्चों की बिगड़ी किस आधार पर बनाते हैं? 
उत्तर:- पवित्रता के आधार पर। तुम बच्चे जानते हो जब बाप बिगड़ी को सुधारने आते 
हैं तो इस पवित्रता पर ही अनेक झगड़े होते हैं। अबलाओं को सितम सहन करने पड़ते। 
पवित्र बनने बिगर देवता बन नहीं सकते। भारत को कौड़ी से हीरा, दु:खधाम से सुखधाम, 
पुराने को नया बनाने के लिए पवित्र जरूर बनना पड़े। तुम बच्चे इसी बात की मदद बाप 
को करते हो इसलिए बाप के साथ-साथ तुम्हारी भी पूजा होती है। 

गीत:- भोलेनाथ से निराला........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अन्दर-बाहर दिल की सफाई से साहेब बाप को राज़ी रखना है। माया के ग्रहण से बचने 
के लिए बाप को सच्चाई से सब सुनाना है। 

2) नष्टोमोहा पूरा बनना है। जरा भी किसी देहधारी में रग नहीं रखनी है। देह-अभिमान 
को तोड़ने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है। 

वरदान:- स्नेह के जादू द्वारा निर्बन्धन को भी बंधन में बांधने वाले श्रेष्ठ जादूगर भव 

बाप से भी बड़े जादूगर आप बच्चे हो। ऐसा स्नेह का जादू आपके पास है जो निर्बन्धन को 
भी बंधन में बांध देते हो। बाप को भी बच्चों के सिवाए कुछ सूझता नहीं। निरन्तर बच्चों को 
ही याद करते हैं। कितने बार तो बाप को भोजन पर बुलाते हो, खाते हो, चलते हो, सोते हो 
तो भी बाप साथ है। कोई कर्म करते हो तो कहते हो कि काम आपका है, कराओ आप निमित्त 
हाथ हम चलाते हैं। फिर कर्म का बोझ भी बाप को दे देते हो तो श्रेष्ठ जादूगर हुए ना। 

स्लोगन:- अपनी स्वस्थिति की शक्ति से परिस्थिति को बदलने वाले कभी परेशान नहीं हो सकते।