Wednesday, December 25, 2013

Murli-[25-12-2013]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - यह बना-बनाया अनादि ड्रामा है, इस ड्रामा में हर एक 
एक्टर की एक्ट फिक्स है, मोक्ष किसको भी नहीं मिल सकता'' 

प्रश्न:- शिवबाबा अशरीरी है, वह शरीर में किसलिए आते हैं? कौनसा काम करते हैं 
और कौनसा नहीं? 
उत्तर:- बाबा कहते - बच्चे, मैं इस शरीर में तुम्हें सिर्फ मुरली सुनाने आता हूँ। मैं 
मुरली सुनाने का ही काम करता हूँ। मैं खाने पीने के लिए नहीं आता हूँ। मैं आया हूँ 
तुम्हें नई राजधानी देने। बाकी स्वाद तो इनकी आत्मा लेती है। 

गीत:- छोड़ भी दे आकाश ासिंहासन........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) ज्ञान की अच्छी धारणा के लिए पवित्रता के व्रत को अपनाना है। अन्तकाल है 
इसलिए ऐसा अभ्यास करना है जो एक बाप के सिवाए और कोई याद न आये। 

2) दधीचि ऋषि मिसल सेवा करते विकारों पर विजय प्राप्त कर जगतजीत बनना है। 

वरदान:- अनुभवों की सम्पन्नता द्वारा सदा उमंग-उल्लास में रहने वाले मा. आलमाइटी 
अथॉरिटी भव 

अनुभव बड़े से बड़ी अथॉरिटी है, हर गुण, हर शक्ति, हर ज्ञान के प्वाइंट के अनुभवों में 
सम्पन्न बनो तो चेहरे पर सदा उमंग-उल्लास की चमक दिखाई देगी। अब सुनने सुनाने 
के साथ-साथ अनुभवी मूर्त बनने का विशेष पार्ट बजाओ। अनुभव की अथॉरिटी वाले स्वयं 
को सदा भरपूर आत्मा अनुभव करेंगे। जैसे बीज भरपूर होता है ऐसे ज्ञान, गुण, शक्तियां 
सबमें भरपूर होने के कारण मा. आलमाइटी अथॉरिटी बन जाते हैं। 

स्लोगन:- अमृतवेला विशेष प्रभू पालना की वेला है, इसका महत्व जान पूरा लाभ लो।