सार:- “मीठे बच्चे – तुम्हारा अव्यभिचारी प्यार एक बाप के साथ तब जुट सकता है जब बुद्धियोग देह सहित देह के सब सम्बन्धों से टूटाहुआ हो”
प्रश्न:- तुम बच्चों की रेस कौन-सी है? उस रेस में आगे जाने का आधार क्या है?
उत्तर:- तुम्हारी रेस है “पास विद् आनर बनने की” इस रेस का आधार है बुद्धियोग | बुद्धियोग जितना बाप के साथ होगा उतना पाप कटेंगेऔर अटल,
अखण्ड, सुख-शान्तिमय 21 जन्म का राज्य प्राप्त होगा | इसके लिए बाप राय देते हैं – बच्चे, नींद को जितने वाले बनो | एक घड़ी, आधीघड़ी भी
याद में रहते-रहते अभ्यास बढ़ाते जाओ | याद का ही रिकार्ड रखो |
गीत:- न वह हमसे जुदा होंगे, न उलफ़त दिल से निकलेगी....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. अकाले मृत्यु से बचने के लिए सबको प्राण दान देने की सेवा करनी है | रावण सम्प्रदाय को राम सम्प्रदाय बनाना है |
2. दिल की उलफ़त (प्यार) एक बाप से रखना है | बुद्धियोग भटकाना नहीं है, नींद को जीत याद को बढ़ाते जाना है |
वरदान:- फ़ालो फादर कर नम्बरवार विश्व के राज्य का तख़्त लेने वाले तख़्तनशीन भव
जैसे बाप ने बच्चों को आगे किया, स्वयं बैकबोन रहे ऐसे फ़ालो फादर करो | जितना यहाँ बाप को फ़ालो करेंगे उतना वहाँ नबरवार विश्व केराज्य
का तख़्त लेने वाले तख़्तनशीन बनेंगे | जितना समय सदा बाप के साथ खाते-पीते रहते, खेलते, पढ़ाई करते उतना ही वहाँ साथ रहते हैं |जिन
बच्चों को जितना समीपता की स्मृति रहती है उतना नैचुरल नशा, निश्चय स्वतः रहता है | तो दिल से सदा यह अनुभव करो कि अनेक बारबाप
के साथी बने हैं, अभी हैं और अनेक बार बनते रहेंगे |
स्लोगन:- सेवा का फल और बल प्राप्त करने वाले ही शक्तिशाली हैं |