मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अपनी रॉयल चलन से सेवा करनी है, श्रीमत पर बुद्धि
प्रश्न:- कौन-सा कर्तव्य एक बाप का है, किसी मनुष्य का नहीं?
उत्तर:- सारे विश्व में पीस स्थापन करना, यह कर्तव्य बाप का है। मनुष्य भल कितनी
गीत:- मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप का प्रिय बनने के लिए ज्ञानी और योगी बनना है। देह-अभिमान में नहीं आना है।
2) मुरली चलाने का हौंसला रखना है। अपनी चलन से बाप का शो करना है।
वरदान:- सन्तुष्ट रहने और सर्व को सन्तुष्ट करने वाले शुभ भावना शुभ कामना सम्पन्न भव
ब्राह्मण अर्थात् सदा सन्तुष्ट रहने और सर्व को सन्तुष्ट करने वाले इसलिए कुछ भी हो जाए,
स्लोगन:- परमात्म प्यार के अनुभवी बनो तो कोई भी रूकावट रोक नहीं सकती।
को रिफाइन बनाना है, माताओं का रिगॉर्ड रखना है''
प्रश्न:- कौन-सा कर्तव्य एक बाप का है, किसी मनुष्य का नहीं?
उत्तर:- सारे विश्व में पीस स्थापन करना, यह कर्तव्य बाप का है। मनुष्य भल कितनी
भी कान्फ्रेन्स आदि करते रहें पीस हो नहीं सकती। शान्ति का सागर बाप जब बच्चों
से पवित्रता की प्रतिज्ञा कराते हैं तब पीस स्थापन होती है। पवित्र दुनिया में ही शान्ति
है। तुम बच्चे यह बात सबको बड़ी युक्ति से और भभके से समझाओ तब बाप का
नाम बाला हो।
गीत:- मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप का प्रिय बनने के लिए ज्ञानी और योगी बनना है। देह-अभिमान में नहीं आना है।
2) मुरली चलाने का हौंसला रखना है। अपनी चलन से बाप का शो करना है।
बातचीत बड़े मिठास से करनी है।
वरदान:- सन्तुष्ट रहने और सर्व को सन्तुष्ट करने वाले शुभ भावना शुभ कामना सम्पन्न भव
ब्राह्मण अर्थात् सदा सन्तुष्ट रहने और सर्व को सन्तुष्ट करने वाले इसलिए कुछ भी हो जाए,
कोई कितना भी हिलाने की कोशिश करे लेकिन सन्तुष्ट रहना है और करना है - यह स्मृति
रहे तो कभी गुस्सा नहीं आयेगा। यदि कोई बार-बार गलती करता है तो उसे परिवर्तन करने
के लिए गुस्सा नहीं करो, बल्कि रहमदिल बनकर शुभ भावना, शुभ कामना की दृष्टि रखो
तो वह सहज परिवर्तन हो जायेंगे।
स्लोगन:- परमात्म प्यार के अनुभवी बनो तो कोई भी रूकावट रोक नहीं सकती।