Monday, December 16, 2013

Murli-[16-12-2013]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - कल्याणकारी बाप अभी तुम्हारा ऐसा कल्याण कर देते हैं 
जो कभी रोना न पड़े, रोना अकल्याण वा देह-अभिमान की निशानी है'' 

प्रश्न:- किस अटल भावी को जानते हुए तुम्हें सदा निश्चिंत रहना है? 
उत्तर:- तुम जानते हो कि इस पुरानी दुनिया का विनाश अवश्य होना है। भल पीस के 
लिए प्रयास करते रहते हैं लेकिन नर चाहत कुछ और........ कितना भी कोशिश करें 
यह भावी टल नहीं सकती। नैचुरल कैलेमिटीज़ आदि भी होनी हैं। तुम्हें नशा है कि 
हमने ईश्वरीय गोद ली है, जो साक्षात्कार किये हैं, वह सब प्रैक्टिकल में होना ही है, 
इसलिए तुम सदा निश्चिन्त रहते हो। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) शरीर निर्वाह अर्थ काम करते देही-अभिमानी रहने का अभ्यास करना है। किसी भी 
परिस्थिति में रोना वा देह-अभिमान में नहीं आना है। 

2) श्रीमत पर अपना और दूसरों का कल्याण करना है। सपूत बन बाप का नाम बाला करना है।
 
वरदान:- अपने हार्षित चेहरे द्वारा प्रभू पसन्द बनने वाले खुशियों के खजाने से सम्पन्न भव 

बापदादा ने ब्राह्मण जन्म होते ही सबको खुशी का बड़े से बड़ा खजाना दिया है, यह ब्राह्मण 
जन्म की गिफ्ट है। बापदादा हर बच्चे का चेहरा सदा खुश देखना चाहते हैं। सदा हार्षित, 
चेयरफुल चेहरा ही प्रभू पसन्द है और हर एक को भी वही पसन्द आता है। सदा खुश रहने के 
लिए यही गीत गाते रहो कि ``पाना था वो पा लिया'', काम बाकी क्या रहा। नशे से कहो कि 
हम खुश नहीं रहेंगे तो कौन रहेगा! 

स्लोगन:- निराकारी, निरंहकारी स्थिति में स्थित रहकर, विश्व को प्रकाशित करने वाले ही 
चैतन्य दीपक हैं।