मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - समय प्रति समय ज्ञान सागर के पास आओ, ज्ञान
रत्नों का वखर (सामान) भरकर फिर बाहर जाकर डिलेवरी करो, विचार सागर मंथन
कर सेवा में लग जाओ''
प्रश्न:- सबसे अच्छा पुरूषार्थ कौन-सा है? बाप को कौन-से बच्चे प्यारे
लगते हैं? उत्तर:- किसी का भी जीवन बनाना, यह बहुत अच्छा पुरूषार्थ है।
बच्चों को इसी पुरूषार्थ में लग जाना चाहिए। कभी अगर कोई भूल हो जाती है
तो उसके बदले में खूब सार्विस करो। नहीं तो वह भूल दिल को खाती रहेगी।
बाप को ज्ञानी और योगी बच्चे ही बहुत प्यारे लगते हैं।
गीत:- जो पिया के साथ है........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) योग में रहकर भोजन बनाना है। योग में ही रहकर भोजन खाना और खिलाना है।
2) बाबा ने जो समझाया है उस पर अच्छी रीति विचार सागर मंथन कर योगयुक्त
हो औरों को भी समझाना है।
वरदान:- बिन्दू रूप बाप की याद से हर सेकण्ड कमाई जमा करने वाले पदमापदमपति भव
आप बच्चे एक-एक सेकण्ड में पदमों से भी ज्यादा कमाई जमा कर सकते हो। जैसे
एक के आगे एक बिन्दी लगाओ तो 10 हो जाता, फिर एक बिन्दी लगाओ तो 100 हो
जाता ऐसे एक सेकण्ड बिन्दू रूप बाप को याद करो, सेकण्ड बीता और बिन्दी लग
गई, इतनी बड़ी कमाई जमा करने वाले आप बच्चे अभी पदमापदमपति बनते हो जो फिर
अनेक जन्म तक खाते रहते हो। ऐसे कमाई करने वाले बच्चों पर बाप को भी नाज
है।
स्लोगन:- बिगड़े हुए कार्य को, बिगड़े हुए संस्कारों को, बिगड़े हुए मूड को
शुभ भावना से ठीक कर देना - यही श्रेष्ठ सेवा है।
रत्नों का वखर (सामान) भरकर फिर बाहर जाकर डिलेवरी करो, विचार सागर मंथन
कर सेवा में लग जाओ''
प्रश्न:- सबसे अच्छा पुरूषार्थ कौन-सा है? बाप को कौन-से बच्चे प्यारे
लगते हैं? उत्तर:- किसी का भी जीवन बनाना, यह बहुत अच्छा पुरूषार्थ है।
बच्चों को इसी पुरूषार्थ में लग जाना चाहिए। कभी अगर कोई भूल हो जाती है
तो उसके बदले में खूब सार्विस करो। नहीं तो वह भूल दिल को खाती रहेगी।
बाप को ज्ञानी और योगी बच्चे ही बहुत प्यारे लगते हैं।
गीत:- जो पिया के साथ है........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) योग में रहकर भोजन बनाना है। योग में ही रहकर भोजन खाना और खिलाना है।
2) बाबा ने जो समझाया है उस पर अच्छी रीति विचार सागर मंथन कर योगयुक्त
हो औरों को भी समझाना है।
वरदान:- बिन्दू रूप बाप की याद से हर सेकण्ड कमाई जमा करने वाले पदमापदमपति भव
आप बच्चे एक-एक सेकण्ड में पदमों से भी ज्यादा कमाई जमा कर सकते हो। जैसे
एक के आगे एक बिन्दी लगाओ तो 10 हो जाता, फिर एक बिन्दी लगाओ तो 100 हो
जाता ऐसे एक सेकण्ड बिन्दू रूप बाप को याद करो, सेकण्ड बीता और बिन्दी लग
गई, इतनी बड़ी कमाई जमा करने वाले आप बच्चे अभी पदमापदमपति बनते हो जो फिर
अनेक जन्म तक खाते रहते हो। ऐसे कमाई करने वाले बच्चों पर बाप को भी नाज
है।
स्लोगन:- बिगड़े हुए कार्य को, बिगड़े हुए संस्कारों को, बिगड़े हुए मूड को
शुभ भावना से ठीक कर देना - यही श्रेष्ठ सेवा है।