Saturday, December 14, 2013

Murli-[14-12-2013]- Hindi

मुरली सार:-

``मीठे बच्चे - आत्मा और परमात्मा का मिलन ही सच्चा-सच्चा संगम अथवा
कुम्भ है, इसी मिलन से तुम पावन बनते हो, यादगार में फिर वह मेला मनाते
हैं''

प्रश्न:- तुम बच्चों में किस बात की बहुत-बहुत सयानप चाहिए? उत्तर:-
ज्ञान की जो नाजुक बातें हैं, उन्हें समझाने की बहुत सयानप चाहिए। युक्ति
से ज्ञान मार्ग और भक्ति मार्ग को सिद्ध करना है। ऐसे समझाना है जैसे
चूहा फूँक भी देता है और काट भी लेता है तो सार्विस की युक्तियाँ रचनी
है। कुम्भ मेले पर प्रदर्शनी लगाकर अनेक आत्माओं का कल्याण करना है। पतित
से पावन होने की युक्ति बतानी है।

गीत:- इस पाप की दुनिया से........

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) सजाओं से बचने के लिए देह के सर्व सम्बन्धों से बुद्धियोग निकाल एक
बाप से बुद्धियोग जोड़ना है। अन्त समय में बाप के सिवाए कोई याद न आये।

2) निरहंकारी बन साइलेन्स में रह कांटों को फूल बनाने की मेहनत करनी है।
श्रीमत पर अन्धों की लाठी बनना है। पावन बन पावन बनाना है।

वरदान:- सदा अपने आप में शुभ उम्मीदें रख दिलशाह बनने वाले बड़ी दिल, फ्राकदिल भव

सदैव अपने में शुभ उम्मीदें रखो, कभी भी नाउम्मीद नहीं बनो। जैसे बाप ने
हर बच्चे में शुभ उम्मीदें रखीं। कोई कैसे भी हैं बाप लास्ट नम्बर से भी
कभी दिलशिकस्त नहीं बनें, सदा ही उम्मीद रखी। तो आप भी अपने से, दूसरों
से, सेवा से कभी नाउम्मींद, दिलशिकस्त नहीं बनो। दिलशाह बनो। शाह माना
फ्राकदिल, सदा बड़ी दिल। कोई भी कमजोर संस्कार धारण नहीं करो। नॉलेजफुल बन
माया के भिन्न-भिन्न रूपों को परख कर विजयी बनो।

स्लोगन:- ``आप और बाप'' दोनों ऐसा कम्बाइन्ड रहो जो तीसरा कोई अलग कर न सके।