Friday, December 27, 2013

Murli-[27-12-2013]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अविनाशी सर्जन से कुछ भी छिपाना नहीं है, अवज्ञा हो 
तो क्षमा लेनी है, नहीं तो बोझ चढ़ता जायेगा, निंदक बन पड़ेंगे'' 

प्रश्न:- सच्ची कमाई का आधार क्या है? उन्नति में विघ्न क्यों पड़ते हैं? 
उत्तर:- सच्ची कमाई का आधार पढ़ाई है। अगर पढ़ाई ठीक नहीं तो सच्ची कमाई कर 
नहीं सकते। उन्नति में विघ्न तब ही पड़ता जब संग ठीक नहीं। कहा भी जाता है संग 
तारे कुसंग बोरे। संग खराब होगा तो पढ़ेंगे नहीं, नापास हो जायेंगे। संग ही एक-दो को 
रसातल में पहुँचा देता है, इसलिए संगदोष से तुम बच्चों को बहुत ही सम्भाल करनी है।
 
गीत:- तू प्यार का सागर है........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) संग दोष से सदा बचे रहना है। सच्ची पढ़ाई पढ़कर सच्ची कमाई का स्टॉक जमा करना है। 

2) कदम-कदम पर बाबा की श्रीमत पर चलेंगे - यह अपने साथ प्रण करना है। 

वरदान:- अपने चेहरे रूपी दर्पण द्वारा मन की शक्तियों का साक्षात्कार कराने वाले योगी तू आत्मा भव 

जो मन में होता है उसकी झलक मस्तक पर जरूर आती है। ऐसे नहीं समझना कि मन 
में तो हमारे बहुत कुछ है। लेकिन मन की शक्ति का दर्पण चेहरा अर्थात् मुखड़ा है। कितना 
भी आप कहो हमारा योग तो बहुत अच्छा है, हम सदा खुशी में नाचते हैं लेकिन चेहरा 
उदास देख कोई नहीं मानेगा। ``पा लिया'' इस खुशी की चमक चेहरे से दिखाई दे। 
खुश्क चेहरा नहीं दिखाई दे, खुशी का चेहरा दिखाई दे, तब कहेंगे योगी तू आत्मा। 

स्लोगन:- जब सरल स्वभाव, सरल बोल, सरलता सम्पन्न कर्म हों तब बाप का नाम बाला कर सकेंगे।