मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - पुरानी दुनिया से ममत्व छोड़ सर्विस करने का उमंग रखो,
प्रश्न:- जिन बच्चों को ज्ञान का नशा चढ़ा होगा, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:- उन्हें सर्विस का बहुत-बहुत शौक होगा। वह सदा मन्सा और वाचा सेवा में
गीत:- माता ओ माता तू सबकी भाग्य विधाता........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धियोग एक बाप से रखना है, मनमनाभव के छू मंत्र से इस दुनिया को स्वर्ग बनाना है।
2) सार्विस में कभी थकना नहीं है। स्थूल सेवा के साथ-साथ रूहानी सेवा भी करनी है।
वरदान:- दिल के स्नेह और संबंध के आधार पर समीपता का अनुभव करने वाले निरन्तर योगी भव
ब्राह्मण आत्माओं में कोई दिल के स्नेह, सम्बन्ध से याद करते हैं और कोई दिमाग अर्थात्
स्लोगन:- नि:स्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति से सेवा करो तब सफलता मिलेगी।
हुल्लास में रहो, सार्विस में कभी थकना नहीं है''
प्रश्न:- जिन बच्चों को ज्ञान का नशा चढ़ा होगा, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:- उन्हें सर्विस का बहुत-बहुत शौक होगा। वह सदा मन्सा और वाचा सेवा में
तत्पर रहेंगे। सबको बाप का परिचय दे सबूत देंगे। बादशाही स्थापन करने निमित्त
सहन भी करना पड़े तो सहन करेंगे। बाप के पूरे-पूरे मददगार बन भारत को स्वर्ग
बनाने की सेवा करेंगे।
गीत:- माता ओ माता तू सबकी भाग्य विधाता........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धियोग एक बाप से रखना है, मनमनाभव के छू मंत्र से इस दुनिया को स्वर्ग बनाना है।
2) सार्विस में कभी थकना नहीं है। स्थूल सेवा के साथ-साथ रूहानी सेवा भी करनी है।
मनमनाभव का मन्त्र सबको याद दिलाना है।
वरदान:- दिल के स्नेह और संबंध के आधार पर समीपता का अनुभव करने वाले निरन्तर योगी भव
ब्राह्मण आत्माओं में कोई दिल के स्नेह, सम्बन्ध से याद करते हैं और कोई दिमाग अर्थात्
नॉलेज के आधार पर संबंध को अनुभव करने का बार-बार प्रयत्न करते हैं। जहाँ दिल का स्नेह
और संबंध अति प्यारा अर्थात् समीप है वहाँ याद भूलना मुश्किल है। जैसे शरीर के अन्दर
नस-नस में ब्लड समाया हुआ है ऐसे आत्मा में निश-पल अर्थात् हर पल याद समाई हुई है,
इसको कहते हैं दिल के स्नेह सम्पन्न निरन्तर याद।
स्लोगन:- नि:स्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति से सेवा करो तब सफलता मिलेगी।