मुरली सार:- ``मीठे बच्चे-एक बाप के साथ सच्ची मुहब्बत हो तो बाप तुम्हें अपने साथ
प्रश्न:- अपने आपको खुशी में रखने के लिए कौन सी मुख्य धारणा चाहिए?
उत्तर:- खुशी में तभी रह सकते जब अपने आपसे रूह-रिहान करना आता हो। किसी भी
गीत:- न वह हमसे जुदा होंगे........
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) चलते-फिरते लाइट हाउस बन सभी को रास्ता बताना है। सब आशायें छोड़ एक बाप
2) ज्ञान की बातों में ही रमण करना है। अपने आपसे बातें करनी है। स्वदर्शन चक्र
वरदान:- मैं-पन के दरवाजे को बन्द कर माया को विदाई देने वाले निमित्त और निर्माण भव
सेवाधारी अगर सेवा करते कभी यह संकल्प भी उठाते हैं कि मैंने किया, तो यह मैं-पन आना
स्लोगन:- जो होलीहंस हैं उनकी विशेषता स्वच्छता है, स्वच्छ बन सबको स्वच्छ बनाना ही उनकी सेवा है।
घर ले जायेंगे, सब पापों से मुक्त कर देंगे, स्वर्ग का मालिक बना देंगे''
प्रश्न:- अपने आपको खुशी में रखने के लिए कौन सी मुख्य धारणा चाहिए?
उत्तर:- खुशी में तभी रह सकते जब अपने आपसे रूह-रिहान करना आता हो। किसी भी
चीज में आसक्ति न हो। दो रोटी पेट को मिले, बस - ऐसी अनासक्त वृत्ति की धारणा हो
तब हार्षित रहेंगे। ज्ञान का मनन कर स्वयं को हर्षित रखो। तुम कर्मयोगी हो, कर्म करते,
घर का काम करते, खाना आदि खाते भी बाप को याद करो। स्वदर्शन चक्र बुद्धि में घूमता
रहे, तो बहुत खुशी रहेगी।
गीत:- न वह हमसे जुदा होंगे........
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) चलते-फिरते लाइट हाउस बन सभी को रास्ता बताना है। सब आशायें छोड़ एक बाप
की याद में रहना है। बाप से राय लेते रहना है।
2) ज्ञान की बातों में ही रमण करना है। अपने आपसे बातें करनी है। स्वदर्शन चक्र
फिराते सदा हार्षित रहना है।
वरदान:- मैं-पन के दरवाजे को बन्द कर माया को विदाई देने वाले निमित्त और निर्माण भव
सेवाधारी अगर सेवा करते कभी यह संकल्प भी उठाते हैं कि मैंने किया, तो यह मैं-पन आना
माना सारे किये हुए कार्य पर पानी डाल देना। सेवाधारी अर्थात् करावनहार बाप कभी नहीं भूले,
वह करा रहे हैं, हम निमित्त बन कर रहे हैं। जहाँ निमित्त भाव है वहाँ निर्माण भाव स्वत: होगा।
निमित्त हूँ, निर्माण हूँ तो माया आ नहीं सकती। मैं-पन के दरवाजे को बन्द कर दो तो माया
विदाई ले लेगी।
स्लोगन:- जो होलीहंस हैं उनकी विशेषता स्वच्छता है, स्वच्छ बन सबको स्वच्छ बनाना ही उनकी सेवा है।