Tuesday, December 10, 2013

Murli-[10-12-2013]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - प्रश्नों में मूझंना छोड़ मनमनाभव रहो, बाप और वर्से को याद करो, 
पवित्र बनो और बनाओ'' 

प्रश्न:- शिवबाबा तुम बच्चों से अपनी पूजा नहीं करवा सकते हैं, क्यों? 
उत्तर:- बाबा कहते - मैं तुम बच्चों का मोस्ट ओबीडियन्ट सर्वेन्ट हूँ। तुम बच्चे मेरे मालिक हो। 
मैं तो तुम बच्चों को नमस्ते करता हूँ। बाप है निरहंकारी। बच्चों को भी बाप समान बनना है। 
मैं तुम बच्चों से अपनी पूजा कैसे कराऊंगा। मेरे पैर भी नहीं हैं, जिसको तुम धुलाई करो। 
तुम्हें तो खुदाई खिदमतगार बन विश्व की सेवा करनी है। 

गीत:- निर्बल से लड़ाई बलवान की........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सच्चा खुदाई खिदमतगार बन भारत को स्वर्ग बनाने में बाप को पवित्रता की मदद करनी है, 
रूहानी सोशल वर्कर बनना है। 

2) किसी भी प्रकार के प्रश्नों मे मूंझकर पढ़ाई नहीं छोड़नी है। प्रश्नों को छोड़ बाप और वर्से को याद करना है। 

वरदान: हिम्मत और उत्साह द्वारा हर कार्य में सफलता प्राप्त करने वाले महान शक्तिशाली आत्मा भव 

भक्ति में कहते हैं - हिम्मत, उत्साह धूल को भी धन बना देता है। आपमें यदि हिम्मत और उत्साह है 
तो दूसरे भी आपके सहयोगी बन जायेंगे। धन की कमी होगी तो उत्साह कहाँ न कहाँ से धन को भी 
खींचकर लायेगा, सफलता को भी खींचकर लायेगा। तो जो निमित्त महान आत्मायें हैं उनका काम है 
स्वयं उत्साह में रहना और दूसरों को उत्साह दिलाना। जब अभी आप ऐसे उत्साह में रहे हो तब जड़ 
चित्रों में सदा मुस्कराता हुआ, शक्तिशाली चेहरा दिखाते हैं। 

स्लोगन:- भाग्यवान आत्मा वह है जिस पर बापदादा के स्नेह की छत्रछाया है।