Friday, December 6, 2013

Murli-[6-12-2013]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - दान सदा पात्र को देना है, फालतू समय वेस्ट नहीं करना है। 
हर एक की नब्ज देखो कि सुनते समय उनकी वृत्ति कहाँ जाती है'' 

प्रश्न:- पावन दुनिया में चलने के लिए तुम बच्चे बहुत भारी परहेज करते हो, तुम्हारी परहेज क्या है? 
उत्तर:- गृहस्थ व्यवहार में कमलफूल के समान रहना ही सबसे भारी परहेज है। हमारा 
त्याग है सारी बेहद की पुरानी दुनिया का। एक आंख में है स्वीट होम, दूसरी आंख में है 
स्वीट राजधानी - इस पुरानी दुनिया को देखते हुए भी नहीं देखना - यह है बहुत बड़ी 
परहेज, इसी परहेज से पावन दुनिया में चले जाते हैं। 

गीत:- धीरज धर मनुआ........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) इस वानप्रस्थ अवस्था में स्वीट होम और स्वीट राजधानी को याद करने के सिवाए बुद्धि 
से सब कुछ भूल जाना है। पूरा नष्टोमोहा बनना है। 

2) बुद्धियोग से बेहद का त्याग कर रूहानी यात्रा करनी है। श्रीमत पर पवित्र बन भारत की 
सच्ची सेवा करनी है। 

वरदान:- सदा बिजी रह हर कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाले मायाजीत भव 

आप बच्चे ब्राह्मण बने हो सदा बिजी रहने के लिए, बिजी रहने वाले ही बड़े से बड़े बिजनेसमैंन 
हैं जो हर कदम में पदमों की कमाई जमा करते हैं। सारे कल्प में ऐसा बिजनेस कोई कर नहीं 
सकता और जो सदा बिजी रहता है उसके पास माया नहीं आती क्योंकि उसके पास माया को 
रिसीव करने का टाइम ही नहीं है। तो सदा इसी रूहानी नशे में रहो कि हमारे कदम-कदम में 
पदम हैं। लेकिन जितना नशा उतना निर्माण। 

स्लोगन:- अपनी सेवा को बाप के आगे अर्पण कर दो तो सफलता हुई पड़ी है।