Monday, December 2, 2013

Murli-[2-12-2013]- Hindi

सार:-  “मीठे बच्चे  बाप हर बात में कल्याणकारी है इसलिए जो डायरेक्शन मिलते हैं उसमें आनाकानी  कर श्रीमत पर सदा चलते रहो

प्रश्न:-    नौधा भक्ति और नौधा पढ़ाई दोनों से जो प्राप्तियाँ होती हैंउसमें क्या अन्तर है?

उत्तर:- नौधा भक्ति से सिर्फ़ साक्षात्कार होता हैजैसे श्रीकृष्ण के भक्त होंगे तो उन्हें श्रीकृष्ण का साक्षात्कार होगारास आदि करेंगे लेकिन वे कोई वैकुण्ठपुरी वा श्रीकृष्णपुरी में नहीं जाते |  तुम बच्चे नौधापढ़ाई पढ़ते हो जिससे तुम्हारी सब मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं | इस पढ़ाई से तुम वैकुण्ठपुरी में चले जाते हो |

गीत:-  आज नहीं तो कल.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1.    बाप की हर बात में कल्याण हैयह समझ निश्चयबुद्धि होकर चलना हैकभी भी संशय में नहीं आना है | श्रीमत को यथार्थ रीति समझना है |

2.    आत्म-अभिमानी रहने का अभ्यास करना है | ड्रामा में हर एक्टर का अनादि पार्ट है इसलिए साक्षी हो देखने का अभ्यास करना है |

वरदान:-  अपने फीचर द्वारा अनेकों का फ्युचर श्रेष्ठ बनाने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव 
बोलने की सेवा तो यथाशक्ति समय प्रमाण करते ही हो लेकिन संगमयुग का जो फ्युचर फरिश्ता स्वरूप हैवह आपके फीचर्स से दिखाई दे तब सहज सेवा कर सकते हो | जैसे जड़ चित्र फ़ीचर्स द्वारा अन्तिमजन्म तक सेवा कर रहे हैं ऐसे आपके फ़ीचर्स में सदा सुख कीशान्ति कीख़ुशी की झलक हो तो श्रेष्ठ सेवा कर सकेंगे | आपके फ़ीचर्स को देखकर कैसी भी दुःखी अशान्तपरेशान आत्मा अपना श्रेष्ठ फ्युचर बनालेगी |


स्लोगन:-  भाग्यविधाता बाप को अपना सर्व सम्बन्धी बना लो तो सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बन जायेंगे |