मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अभी घोर अन्धियारा, भयानक रात पूरी हो रही है, तुम्हें दिन
प्रश्न:- सेकेण्ड में जीवनमुक्ति प्राप्त करने वा हीरे तुल्य जीवन बनाने का आधार क्या है?
उत्तर:- सच्ची गीता। जो श्रीमद् भगवानुवाच है। बाप तुम्हें सम्मुख जो डायरेक्शन दे रहे
गीत:- रात के राही थक मत जाना........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पढ़ाई में थकना नहीं है। ऊंच ते ऊंच पढ़ाई रोज़ पढ़नी और पढ़ानी है।
2) विहंग मार्ग की सार्विस करने की युक्तियाँ निकालनी हैं। योग में रह बाप से ताकत लेनी है।
वरदान:- दिव्य बुद्धि के वाहन द्वारा तीनों लोकों की सैर करने वाले ज्ञान स्वरूप विद्यापति भव
दिव्य बुद्धि अर्थात् होलीहंस बुद्धि। हंस अर्थात् क्षीर और नीर को, मोती और पत्थर को पहचान
स्लोगन:- अपनी सर्वशक्तियों को अन्य आत्माओं के प्रति विल करना ही सर्व श्रेष्ठ सेवा है।
में चलना है, यह ब्रह्मा के बेहद दिन और रात की ही कहानी है''
प्रश्न:- सेकेण्ड में जीवनमुक्ति प्राप्त करने वा हीरे तुल्य जीवन बनाने का आधार क्या है?
उत्तर:- सच्ची गीता। जो श्रीमद् भगवानुवाच है। बाप तुम्हें सम्मुख जो डायरेक्शन दे रहे
हैं यह सच्ची गीता है, जिससे तुम्हें सेकेण्ड में जीवनमुक्ति पद की प्राप्ति होती है। तुम हीरे
तुल्य बनते हो। उस गीता से तो भारत कौड़ी तुल्य बना है क्योंकि बाप को भूल गीता को
खण्डन कर दिया है।
गीत:- रात के राही थक मत जाना........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पढ़ाई में थकना नहीं है। ऊंच ते ऊंच पढ़ाई रोज़ पढ़नी और पढ़ानी है।
2) विहंग मार्ग की सार्विस करने की युक्तियाँ निकालनी हैं। योग में रह बाप से ताकत लेनी है।
कृपा, आर्शावाद मांगनी नहीं है।
वरदान:- दिव्य बुद्धि के वाहन द्वारा तीनों लोकों की सैर करने वाले ज्ञान स्वरूप विद्यापति भव
दिव्य बुद्धि अर्थात् होलीहंस बुद्धि। हंस अर्थात् क्षीर और नीर को, मोती और पत्थर को पहचान
मोती ग्रहण करने वाले, इसलिए होलीहंस संगमयुगी ज्ञान स्वरूप विद्या देवी, सरस्वती का
वाहन है। आप सभी ज्ञान स्वरूप हो इसलिए विद्यापति या विद्या देवी हो। यह वाहन दिव्य
बुद्धि की निशानी है। इस दिव्य बुद्धि के वाहन द्वारा आप तीनों लोकों का सैर करते हो। यह
वाहन सभी वाहन से तीव्रगति वाला है।
स्लोगन:- अपनी सर्वशक्तियों को अन्य आत्माओं के प्रति विल करना ही सर्व श्रेष्ठ सेवा है।