Thursday, October 24, 2013

Murli[22-10-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - आज्ञाकारी बनो, बाप की पहली आज्ञा है - अपने को 
आत्मा समझ बाप को याद करो'' 

प्रश्न:- आत्मा रूपी बर्तन अशुद्ध क्यों हुआ है? उसको शुद्ध बनाने का साधन क्या है? 
उत्तर:- वाह्यात बातों को सुनते और सुनाते आत्मा रूपी बर्तन अशुद्ध बन गया है। 
इसको शुद्ध बनाने के लिए बाप का फ़रमान है हियर नो ईविल, सी नो ईविल........ 
एक बाप से सुनो, बाप को ही याद करो तो आत्मा रूपी बर्तन शुद्ध हो जायेगा। 
आत्मा और शरीर दोनों पावन बन जायेंगे। 

गीत:- जो पिया के साथ है....... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) हर बात में विजय का आधार निश्चय है इसलिए निश्चयबुद्धि जरूर बनना है। 
सद्गति दाता बाप में कभी संशय नहीं उठाना है। 

2) बुद्धि को पवित्र वा शुद्ध बनाने के लिए अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। 
वाह्यात (व्यर्थ) बातें न सुननी है, न सुनानी है। 

वरदान:- एक बाबा शब्द की स्मृति द्वारा कमजोरी शब्द को समाप्त करने वाले सदा समर्थ आत्मा भव 

जिस समय कोई कमजोरी वर्णन करते हो, चाहे संकल्प की, बोल की, चाहे संस्कार-स्वभाव 
की तो यही कहते हो कि मेरा विचार ऐसे कहता है, मेरा संस्कार ही ऐसा है। लेकिन जो बाप 
का संस्कार, संकल्प सो मेरा। समर्थ की निशानी ही है बाप समान। तो संकल्प, बोल, हर 
बात में बाबा शब्द नेचुरल हो और कर्म करते करावनहार की स्मृति हो तो बाबा के आगे 
माया अर्थात् कमजोरी आ नहीं सकती। 

स्लोगन:- जिसके पास गम्भीरता की विशेषता है, उन्हें हर कार्य में स्वत: सिद्धि प्राप्त होती है।