Thursday, October 24, 2013

Murli[18-10-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - यह पढ़ाई बहुत सस्ती और सहज है, पद का आधार गरीबी 
वा साहूकारी पर नहीं, पढ़ाई पर है, इसलिए पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो'' 

प्रश्न:- ज्ञानी तू आत्मा का पहला लक्षण कौन सा है? 
उत्तर:- वह सभी के साथ अति मीठा व्यवहार करेंगे। किसी से दोस्ती, किसी से दुश्मनी 
रखना यह ज्ञानी तू आत्मा का लक्षण नहीं। बाप की श्रीमत है - बच्चे, अति मीठा बनो। 
प्रैक्टिस करो - मैं आत्मा इस शरीर को चला रही हूँ। अब मुझे घर जाना है। 

गीत:- तू प्यार का सागर है........ 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) ज्ञान का सिमरण कर त्रिकालदर्शा बनना और बनाना है। अंधों की लाठी बन उन्हें 
अज्ञान नींद से सुजाग करना है। 

2) 21 जन्मों के लिए अपना सब कुछ इन्श्योर करना है। साथ-साथ ज्ञान की शंखध्वनि करनी है। 

वरदान:- बुद्धि रूपी विमान द्वारा सेकण्ड में तीनों लोकों का सैर करने वाले सहजयोगी भव 

बापदादा बच्चों को निमन्त्रण देते हैं कि बच्चे संकल्प का स्विच आन करो और वतन में पहुंच 
कर सूर्य की किरणें लो, चन्द्रमा की चांदनी भी लो, पिकनिक भी करो और खेलकूद भी करो। 
इसके लिए सिर्फ बुद्धि रूपी विमान में डबल रिफाइन पेट्रोल की आवश्यकता है। डबल 
रिफाइन अर्थात् एक निराकारी निश्चय का नशा कि मैं आत्मा हूँ, बाप का बच्चा हूँ, दूसरा 
साकार रूप में सर्व संबंधों का नशा। यह नशा और खुशी सहजयोगी भी बना देगी और 
तीनों लोकों का सैर भी करते रहेंगे। 

स्लोगन:- श्रेष्ठ कर्म का ज्ञान ही श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींचने का कलम है।