Thursday, October 10, 2013

Murli[10-10-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - गृहस्थ व्यवहार में रहते सबसे तोड़ निभाना है, नफ़रत नहीं करनी 
है लेकिन कमल फूल के समान पवित्र जरूर बनना है'' 

प्रश्न:- तुम्हारी विजय का डंका कब बजेगा? वाह-वाह कैसे निकलेगी? 
उत्तर:- अन्त समय जब तुम बच्चों पर माया की ग्रहचारी बैठना बन्द हो जायेगी, सदा लाइन 
क्लीयर रहेगी तब वाह-वाह निकलेगी, विजय का डंका बजेगा। अभी तो बच्चों पर ग्रहचारी बैठ 
जाती है। विघ्न पड़ते रहते हैं। 3 पैर पृथ्वी के भी सेवा के लिए मुश्किल मिलते हैं लेकिन वह भी 
समय आयेगा जब तुम बच्चे सारे विश्व के मालिक होंगे। 

गीत:- धीरज धर मनुवा........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) चलते-फिरते अपने को एक्टर समझना है, ड्रामा के पट्टे पर अचल रहना है। बुद्धि में रहे 
कि अभी हम वापस घर जाते हैं, हम यात्रा पर हैं। 

2) सद्गति के सर्व लक्षण स्वयं में धारण करने हैं। सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण बनना है। 

वरदान:- अपनी विल पावर द्वारा हर एक को विल कराने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव 

वर्तमान समय कई आत्मायें आपके सहयोग के लिए चात्रक हैं लेकिन अपनी शक्ति नहीं है। उन्हें आपको 
अपने शक्तियों की मदद विशेष देनी पड़ेगी इसलिए निमित्त बने हुए सेवाधारियों में सर्व शक्तियों की पावर 
चाहिए। जैसे ब्रह्मा बाप ने लास्ट में बच्चों को शक्तियों की विल की, उस विल से यह कार्य चल रहा है, 
ऐसे फालो फादर। अपने शक्तियों की विल आत्माओं के प्रति करो तो समय के प्रमाण सेवा सम्पन्न हो जायेगी। 

स्लोगन:- जहाँ एकता और एकाग्रता की शक्ति है वहाँ सफलता सहज प्राप्त होती है।