मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - नई दुनिया के लिए बाप तुम्हें सब नई बातें सुनाते, नई
प्रश्न:- रहमदिल बाप सभी बच्चों को किस बात में सावधान कर ऊंच तकदीर बना देते हैं?
उत्तर:- बाबा कहते - बच्चे, ऊंच तकदीर बनानी है तो सार्विस करो। अगर खाया और सोया,
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) वापिस स्वीट होम (घर) जाना है इसलिए देह के धर्मों और सम्बन्धों को भूल स्वयं को
2) बाप की जो शिक्षायें मिली हैं, वह दूसरों को देनी है, आप समान बनाना है। 8 घण्टे सार्विस जरूर करनी है।
वरदान:- स्वयं को अवतरित हुए अवतार समझ सदा ऊंची स्थिति में रहने वाले अर्श निवासी फरिश्ता भव
जैसे बाप अवतरित हुए हैं ऐसे आप श्रेष्ठ आत्मायें भी ऊपर से नीचे मैसेज देने के लिए अवतरित हुए हो,
स्लोगन:- स्व-परिवर्तन के तीव्र पुरूषार्था बच्चों को ही बाप के दुआओं की मुबारक मिलती है।
मत देते इसलिए उनकी गत-मत न्यारी गाई जाती है''
प्रश्न:- रहमदिल बाप सभी बच्चों को किस बात में सावधान कर ऊंच तकदीर बना देते हैं?
उत्तर:- बाबा कहते - बच्चे, ऊंच तकदीर बनानी है तो सार्विस करो। अगर खाया और सोया,
सार्विस नहीं की तो ऊंची तकदीर नहीं बना सकेंगे। सार्विस के बिगर खाना हराम है,
इसलिए बाबा सावधान करते। सारा मदार पढ़ाई पर है। तुम ब्राह्मणों को पढ़ना और पढ़ाना है,
सच्ची गीता सुनानी है। बाप को रहम पड़ता है इसलिए हर बात की रोशनी देते रहते हैं।
गीत:- जिस दिन से मिले हम तुम........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) वापिस स्वीट होम (घर) जाना है इसलिए देह के धर्मों और सम्बन्धों को भूल स्वयं को
देही समझना है। इसी अभ्यास में रहना है।
2) बाप की जो शिक्षायें मिली हैं, वह दूसरों को देनी है, आप समान बनाना है। 8 घण्टे सार्विस जरूर करनी है।
वरदान:- स्वयं को अवतरित हुए अवतार समझ सदा ऊंची स्थिति में रहने वाले अर्श निवासी फरिश्ता भव
जैसे बाप अवतरित हुए हैं ऐसे आप श्रेष्ठ आत्मायें भी ऊपर से नीचे मैसेज देने के लिए अवतरित हुए हो,
रहने वाले सूक्ष्मवतन वा मूलवतन के हो। देह-भान रूपी मिट्टी अथवा पृथ्वी पर आपके बुद्धि रूपी पांव
नहीं पड़ सकते इसलिए फरिश्तों के पांव सदा फर्श से ऊपर दिखाते हैं। तो आप सब ऊंची स्थिति में
स्थित रहने वाले अर्श निवासी अवतरित हुए अवतार हो, इसी स्मृति से उड़ती कला में उड़ते रहो।
स्लोगन:- स्व-परिवर्तन के तीव्र पुरूषार्था बच्चों को ही बाप के दुआओं की मुबारक मिलती है।