Thursday, October 31, 2013

Murli-[31-10-2013]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - देह सहित सब कुछ भूल एक बाप को याद करो तब कहेंगे मातेले बच्चे, 
इस पुरानी दुनिया से अब तुम्हारी बुद्धि हट जानी चाहिए'' 

प्रश्न:- बाप का ज्ञान किन बच्चों की बुद्धि में सहज ही बैठ जाता है? 
उत्तर:- जो गरीब बच्चे हैं, जिनका मोह नष्ट है और बुद्धि विशाल है उनकी बुद्धि में सारा ज्ञान सहज बैठ 
जाता है। बाकी जिनकी बुद्धि में रहता - हमारा धन, हमारा पति........ वह ज्ञान को धारण कर ऊंच पद 
नहीं पा सकते। बाप का बनने के बाद भी लौकिक सम्बन्धों को याद करना माना कच्ची सगाई है, 
उन्हें सौतेला कहा जाता है। 

गीत:- मरना तेरी गली में........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) एक के साथ सर्व सम्बन्ध रख बुद्धियोग अनेक बन्धनों से निकाल लेना है। एक के साथ पक्की 
सगाई करनी है। बुद्धियोग भटकाना नहीं है। 

2) बाप समान मुरलीधर बनना है, मैंने अच्छी मुरली चलाई - इस अहंकार में नहीं आना है। बादल 
भरकर वर्षा करनी है। पढ़ाई की है तो सेन्टर जमाना है। 

वरदान:- मन को श्रेष्ठ पोजीशन में स्थित कर पोज़ बदलने के खेल को समाप्त करने वाले सहजयोगी भव 

जैसी मन की पोज़ीशन होती है वह चेहरे के पोज़ से दिखाई देती है। कई बच्चे कभी-कभी बोझ उठाकर 
मोटे बन जाते हैं, कभी बहुत सोचने के संस्कार के कारण अन्दाज से भी लम्बे हो जाते हैं और कभी 
दिलशिकस्त होने के कारण अपने को बहुत छोटा देखते हैं। तो अपने ऐसे पोज़ साक्षी होकर देखो और 
मन की श्रेष्ठ पोज़ीशन में स्थित हो ऐसे भिन्न-भिन्न पोज़ परिवर्तन करो तब कहेंगे सहजयोगी। 

स्लोगन:- खुशियों के खान की अधिकारी आत्मा सदा खुशी में रहती और खुशी बांटती है।