मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप की आश है बच्चे पूरा-पूरा नष्टोमोहा बनें, जब पक्का
प्रश्न:- रूद्र शिवबाबा द्वारा रचे हुए यज्ञ और मनुष्यों द्वारा रचे जा रहे यज्ञों में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर:- मनुष्य जो भी यज्ञ रचते, उसमें जौ-तिल आदि स्वाहा करते, वह मैटेरियल यज्ञ हैं।
गीत:- निर्बल से लड़ाई बलवान की........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस अविनाशी ज्ञान यज्ञ में अपने इस रथ सहित सब कुछ स्वाहा करना है।
2) माया कितनी भी गर्म हो, सावधान रह उसके थप्पड़ से स्वयं को बचाना है। घबराना नहीं है।
वरदान:- अपने आदि और अन्त दोनों स्वरूप को सामने रख खुशी व नशे में रहने वाले स्मृति स्वरूप भव
जैसे आदि देव ब्रह्मा और आदि आत्मा श्रीकृष्ण दोनों का अन्तर दिखाते भी साथ दिखाते हो।
स्लोगन:- जिनके पास ज्ञान का अथाह धन है, उन्हें सम्पन्नता की अनुभूति होती है।
वायदा करें - बाबा, आप हमारे, हम आपके, तब सच्ची प्रीत जुटे''
प्रश्न:- रूद्र शिवबाबा द्वारा रचे हुए यज्ञ और मनुष्यों द्वारा रचे जा रहे यज्ञों में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर:- मनुष्य जो भी यज्ञ रचते, उसमें जौ-तिल आदि स्वाहा करते, वह मैटेरियल यज्ञ हैं।
बाप ने जो यज्ञ रचा है यह अविनाशी ज्ञान यज्ञ है, इसमें सारी पुरानी दुनिया स्वाहा हो
जाती है। 2- वह यज्ञ थोड़े समय तक चलते, यह यज्ञ जब तक विनाश न हो तब तक
चलता रहेगा। जब तुम बच्चे कर्मातीत अवस्था तक पहुँचेंगे तब यज्ञ की समाप्ति होगी।
गीत:- निर्बल से लड़ाई बलवान की........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस अविनाशी ज्ञान यज्ञ में अपने इस रथ सहित सब कुछ स्वाहा करना है।
सार्विस के लिए बहुत-बहुत चुस्त और फुर्त बनना है।
2) माया कितनी भी गर्म हो, सावधान रह उसके थप्पड़ से स्वयं को बचाना है। घबराना नहीं है।
वरदान:- अपने आदि और अन्त दोनों स्वरूप को सामने रख खुशी व नशे में रहने वाले स्मृति स्वरूप भव
जैसे आदि देव ब्रह्मा और आदि आत्मा श्रीकृष्ण दोनों का अन्तर दिखाते भी साथ दिखाते हो।
ऐसे आप सब अपना ब्राह्मण स्वरूप और देवता स्वरूप दोनों को सामने रखते हुए देखो कि
आदि से अन्त तक हम कितनी श्रेष्ठ आत्मायें रही हैं। आधाकल्प राज्य भाग्य प्राप्त किया
और आधाकल्प माननीय, पूज्यनीय श्रेष्ठ आत्मा बनें। तो इसी नशे और खुशी में रहने से
स्मृति स्वरूप बन जायेंगे।
स्लोगन:- जिनके पास ज्ञान का अथाह धन है, उन्हें सम्पन्नता की अनुभूति होती है।