Tuesday, October 29, 2013

Murli-[29-10-2013]- Hindi



मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - देह के सम्बन्धों में बंधन है, इसलिए दु:ख है, देही के सम्बन्ध में 
रहो तो अथाह सुख मिल जायेगा, एक मात-पिता की याद रहेगी'' 

प्रश्न:- किस नशे में रहो तो माया पर जीत पाने की हिम्मत आ जायेगी? 
उत्तर:- नशा रहे कि कल्प-कल्प हम बाप की याद से माया दुश्मन पर विजयी बन हीरे जैसा 
बने हैं। खुद खुदा हमारा मात-पिता है, इसी स्मृति वा नशे से हिम्मत आ जायेगी। हिम्मत 
रखने वाले बच्चे विजयी अवश्य बनते हैं और सदा गॉडली सार्विस पर ही तत्पर रहते हैं। 

गीत:- तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है....... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) मेरा तो एक सर्वोत्तम टीचर दूसरा न कोई - इसी निश्चय से मात-पिता समान पढ़ाई पढ़नी है। 
पुरूषार्थ में पूरा फालो करना है। 

2) देह के बंधन को बुद्धि से तोड़ना है। दैवी मत पर चल सदा हर्षित रहना है। ईश्वरीय सेवा करनी है। 

वरदान:- एक हिम्मत की विशेषता द्वारा सर्व का सहयोग प्राप्त कर आगे बढ़ने वाली विशेष आत्मा भव 

जो बच्चे हिम्मत रखकर, निर्भय होकर आगे बढ़ते हैं उन्हें बाप की मदद स्वत: मिलती है। हिम्मत की 
विशेषता से सर्व का सहयोग मिल जाता है। इसी एक विशेषता से अनेक विशेषतायें स्वत: आती जाती 
हैं। एक कदम आगे रखा और अनेक कदम सहयोग के अधिकारी बने। इसी विशेषता का औरों को भी 
दान और वरदान देते रहो अर्थात् विशेषता को सेवा में लगाओ तो विशेष आत्मा बन जायेंगे। 

स्लोगन:- बुद्धि से इतने हल्के रहो जो बाप अपनी पलकों पर बिठाकर साथ ले जाये।