Friday, October 25, 2013

Murli-[25-10-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे-बचे - तुम आमाओं को अपना-अपना रथ है, म हँ िनराकार, मुझे भी कप म एक ही बार रथ चािहए, म ा का अनुभवी वृ रथ उधार लेता हँ'' न:- िकस िनचय के आधार पर शरीर का भान भूलना अित सहज है? उर:- तुम बच ने िनचय से कहा - बाबा, हम आपके बन गये, तो बाप का बनना माना ही शरीर का भान भूलना। जैसे िशवबाबा इस रथ पर आता और चला जाता, ऐसे तुम बचे भी ैटस करो इस रथ पर आने-जाने क। अशरीरी बनने का अयास करो। इसम मुकल का अनुभव नह होना चािहए। अपने को िनराकारी आमा समझ बाप को याद करो। गीत:- ओम् नमो िशवाए........ धारणा के लए मुय सार:- 1) राजऋिष बन तपया करनी है। पूयनीय माला म आने के लए बाप समान सािवस करनी है। पका योगी बनना है। 2) नॉलेज बड़ी मज़े क है, इसलए रमणीकता से पढ़ना है, मूँझना नह है। वरदान:- माटर नॉलेजफुल बन 5 हजार वष क जम पी को जानने वाले वदशन चधारी भव जो अभी वदशन चधारी बनते ह वही भिवय म चवत राय-भाय के अधकारी बनते ह। वदशन चधारी अथात् अपने सारे च के अदर सव िभ-िभ पाट को जानने वाले। आप बचे िवशेष इस समय 5 हजार वष क जमपी को जानकर माटर नॉलेजफुल बन गये। सभी ने यह िवशेष बात जान ली िक इस अतम जम म हीरे तुय जीवन बनाने से सारे कप के अदर हीरो पाट बजाने वाले बन जाते ह। लोगन:- अपने साथय को भी बाप के संग का रंग लगाओ तो उनके संग का रंग आपको नह लगेगा।
Mirk