मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप से सर्व सम्बन्ध रखो तो बन्धन ख़लास हो जायेंगे, माया
प्रश्न:- निर्बन्धन किसे कहा जाता है? निर्बन्धन बनने का उपाय क्या है?
उत्तर:- निर्बन्धन अर्थात् अशरीरी। देह सहित देह का कोई भी सम्बन्ध बुद्धि को अपनी
गीत:- जिसका साथी है भगवान........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह सहित सबसे मोह निकाल विदेही बनने का पूरा पुरूषार्थ करना है। हर एक्टर का
2) इस पुरानी दुनिया से उपराम होना है, अपने आपसे बातें करनी है कि हमें तो अब
वरदान:- करावनहार की स्मृति द्वारा बड़े से बड़े कार्य को सहज करने वाले निमित्त करनहार भव
बापदादा स्थापना का बड़े से बड़ा कार्य स्वयं करावनहार बन निमित्त करनहार बच्चों द्वारा करा रहे हैं।
बन्धन में बांधती और बाप बन्धनों से मुक्त कर देते हैं''
प्रश्न:- निर्बन्धन किसे कहा जाता है? निर्बन्धन बनने का उपाय क्या है?
उत्तर:- निर्बन्धन अर्थात् अशरीरी। देह सहित देह का कोई भी सम्बन्ध बुद्धि को अपनी
तरफ न खींचे। देह-अभिमान में ही बन्धन है। देही-अभिमानी बनो तो सब बन्धन समाप्त हो
जायेंगे। जीते जी मर जाना ही निर्बन्धन बनना है। बुद्धि में रहे अब अन्त का समय है,
नाटक पूरा हुआ, हम बाप के पास जाते हैं तो निर्बन्धन बन जायेंगे।
गीत:- जिसका साथी है भगवान........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह सहित सबसे मोह निकाल विदेही बनने का पूरा पुरूषार्थ करना है। हर एक्टर का
पार्ट साक्षी हो देखना है। बन्धन-मुक्त बनना है।
2) इस पुरानी दुनिया से उपराम होना है, अपने आपसे बातें करनी है कि हमें तो अब
वापस जाना है। अब पुरानी दुनिया के अन्त का समय है, हमारा पार्ट पूरा हुआ।
वरदान:- करावनहार की स्मृति द्वारा बड़े से बड़े कार्य को सहज करने वाले निमित्त करनहार भव
बापदादा स्थापना का बड़े से बड़ा कार्य स्वयं करावनहार बन निमित्त करनहार बच्चों द्वारा करा रहे हैं।
करन-करावनहार इस शब्द में बाप और बच्चे दोनों कम्बाइन्ड हैं। हाथ बच्चों का और काम बाप का।
हाथ बढ़ाने का गोल्डन चांस बच्चों को ही मिला है। लेकिन अनुभव यहीं करते हो कि कराने वाला
करा रहा है, निमित्त बनाए चला रहा है। हर कर्म में करावनहार के रूप में साथी है।
स्लोगन:- ज्ञानी तू आत्मा वह है जो अर्जी डालने के बजाए सदा राज़ी रहे।