Thursday, October 24, 2013

Murli[23-10-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - ज्ञान का सुख 21 पीढ़ी चलता है, वह है स्वर्ग का सदा सुख, 
भक्ति में तीव्र भक्ति से अल्पकाल क्षण भंगुर सुख मिलता है'' 

प्रश्न:- किस श्रीमत पर चलकर तुम बच्चे सद्गति को प्राप्त कर सकते हो? 
उत्तर:- बाप की तुम्हें श्रीमत है - इस पुरानी दुनिया को भूल एक मुझे याद करो। इसी को 
ही बलिहार जाना अथवा जीते जी मरना कहा जाता है। इसी श्रीमत से तुम श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ 
बनते हो। तुम्हारी सद्गति हो जाती है। साकार मनुष्य, मनुष्य की सद्गति नहीं कर सकते। 
बाप ही सबका सद्गति दाता है। 

गीत:- ओम् नमो शिवाए........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप पर पूरा बलिहार जाना है। देह का अहंकार छोड़ योग अग्नि से विकर्म विनाश करने हैं। 

2) एम ऑब्जेक्ट को बुद्धि में रखकर पढ़ाई करनी है। बने बनाये ड्रामा को बुद्धि में रखकर 
स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। 

वरदान:- मेरे को तेरे में परिवर्तन कर सदा हल्का रहने वाले डबल लाइट फरिश्ता भव 

चलते-फिरते सदा यही स्मृति में रहे कि हम हैं ही फरिश्ते। फरिश्तों का स्वरूप क्या, बोल 
क्या, कर्म क्या... वह सदा स्मृति में रहें क्योंकि जब बाप के बन गये, सब कुछ मेरा सो 
तेरा कर दिया तो हल्के (फरिश्ते) बन गये। इस लक्ष्य को सदा सम्पन्न करने के लिए एक 
ही शब्द याद रहे - सब बाप का है, मेरा कुछ नहीं। जहाँ मेरा आये वहाँ तेरा कह दो, फिर 
कोई बोझ फील नहीं होगा, सदा उड़ती कला में उड़ते रहेंगे। 

स्लोगन:- बाप के ऊपर बलिहार जाने का हार पहन लो तो माया से हार नहीं होगी।