Wednesday, October 2, 2013

Murli[2-10-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अब मनुष्यों द्वारा मिले हुए मंत्र-जंत्र काम में नहीं आने हैं, 
इसलिए तुम सबसे अपना बुद्धियोग तोड़ एक बाप को याद करो'' 

प्रश्न:- भक्ति की कौन-सी बात ज्ञान मार्ग में नहीं चल सकती है? 
उत्तर:- भक्ति में भगवान् से कृपा अथवा आशीर्वाद मांगते हैं, ज्ञान मार्ग में आशीर्वाद वा 
कृपा की बात नहीं। यह पढ़ाई है, बाप टीचर बनकर तुमको पढ़ा रहे हैं। तकदीर का आधार 
पढ़ाई पर है। अगर बाप कृपा करे तो सारा क्लास ही पास हो जाए इसलिए ज्ञान मार्ग 
में कृपा वा आशीर्वाद की बात नहीं। हरेक को अपना-अपना पुरूषार्थ जरूर करना है। 

गीत:- मैं एक नन्हा सा बच्चा हूँ....... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अपना पुराना बैग-बैगेज 21 जन्मों के लिए ट्रान्सफर करना है, इनश्योर कर ट्रस्टी 
हो सम्भालना है।

2) निश्चयबुद्धि बन पढ़ाई करनी है। गरीबों को ज्ञान दान देना है। भारत को पवित्र बनाने 
की सच्ची रूहानी सेवा करनी है। 

वरदान:- बाप के हर डायरेक्शन वा कायदे से फ़ायदा लेने वाले मर्यादा पुरूषोत्तम भव 

कहा जाता - जितना कायदा उतना फायदा, इसलिए अमृतवेले से जो भी कायदे बने हैं 
उनसे कभी किनारा नहीं करो। पढ़2ई, अमृतवेला, सेवा जो भी दिनचर्या बनी हुई है, उसमें 
मन नहीं भी लगे तो भी दिनचर्या में कुछ मिस नहीं करो। जैसे भक्त लोग नियम का पालन 
जरूर करते हैं, मन्दिर में मन नहीं भी लगे तो भी जायेंगे जरूर। आप तो स्वयं ला-मेकर्स हो, 
इसी अनुभव से हर नियम का पालन करते चलो तो मर्यादा पुरूषोत्तम बन जायेंगे। 

स्लोगन:- जिनके पास सन्तुष्टता का विशेष गुण है उनके पास सर्व गुण स्वत: आते जायेंगे।