मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - श्रीमत पर चलो तो तुम्हारे सब भण्डारे भरपूर हो जायेंगे,
प्रश्न:- इस कलियुग में किस चीज़ का देवाला निकल चुका है? देवाला निकलने से
गीत:- भोलेनाथ से निराला........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जीते जी बाप पर बलि चढ़ना है अर्थात् बाप का बनकर बाप की ही श्रीमत पर
2) अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कर जगदम्बा समान सर्व की मनोकामनायें पूर्ण
वरदान:- अभ्यास की एक्सरसाइज द्वारा सूक्ष्म शक्तियों को जीवन में समाने
ब्रह्मा माँ की बच्चों में रूहानी ममता है इसलिए सूक्ष्म स्नेह के आह्वान से बच्चों के
स्लोगन:- स्वमान में स्थित रहने वाली आत्मा दूसरों को भी मान दे आगे बढ़ाती है।
तुम्हारी तकदीर ऊंची बन जायेगी''
प्रश्न:- इस कलियुग में किस चीज़ का देवाला निकल चुका है? देवाला निकलने से
इसकी गति क्या हुई है?
उत्तर:- कलियुग में पवित्रता, सुख और शान्ति का देवाला निकल चुका है इसलिए
उत्तर:- कलियुग में पवित्रता, सुख और शान्ति का देवाला निकल चुका है इसलिए
भारत सुखधाम से दु:खधाम, हीरे से कौड़ी जैसा बन गया है। यह खेल सारा भारत
पर है। खेल के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान अभी बाप तुम्हें सुना रहे हैं। तकदीरवान,
सौभाग्यशाली बच्चे ही इस ज्ञान को अच्छी रीति समझ सकते हैं।
गीत:- भोलेनाथ से निराला........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जीते जी बाप पर बलि चढ़ना है अर्थात् बाप का बनकर बाप की ही श्रीमत पर
चलना है। आप समान बनाने की सेवा करनी है।
2) अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कर जगदम्बा समान सर्व की मनोकामनायें पूर्ण
करने वाला बनना है।
वरदान:- अभ्यास की एक्सरसाइज द्वारा सूक्ष्म शक्तियों को जीवन में समाने
वाले शक्ति सम्पन्न भव
ब्रह्मा माँ की बच्चों में रूहानी ममता है इसलिए सूक्ष्म स्नेह के आह्वान से बच्चों के
स्पेशल ग्रुप वतन में इमर्ज कर शक्तियों की खुराक खिलाते हैं। जैसे यहाँ घी पिलाते
थे और साथ-साथ एक्सरसाइज कराते थे, ऐसे वतन में भी घी पिलाते अर्थात् सूक्ष्म
शक्तियों की चीज़ें देते और अभ्यास की एक्सरसाइज भी कराते। तीनों लोकों में दौड़
की रेस कराते, जिससे विशेष खातिरी जीवन में समा जाए और सभी बच्चे शक्ति
सम्पन्न बन जाएं।
स्लोगन:- स्वमान में स्थित रहने वाली आत्मा दूसरों को भी मान दे आगे बढ़ाती है।