Wednesday, October 30, 2013

Murli-[30-10-2013]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - पढ़ाई कभी भी मिस नहीं करना, पढ़ाई का शौक तब रहेगा जब 
पढ़ाने वाले बाप में अटूट निश्चय होगा, निश्चय बुद्धि बच्चे ही सार्विस कर सकेंगे'' 

प्रश्न:- बापदादा को बच्चों की कौन-सी बात सुनकर बहुत खुशी होती है? 
उत्तर:- जब बच्चे सार्विस समाचार का पत्र लिखते हैं - बाबा, आज हमने फलाने को समझाया, 
उसको दो बाप का परिचय दिया.... ऐसे-ऐसे सेवा की। तो बाबा उन पत्रों को पढ़कर बहुत खुश 
होते हैं। याद-प्यार वा खुश ख़ैराफत का पत्र लिखने से बाबा का पेट नहीं भरता। बाबा अपने 
मददगार बच्चों को देख खुश होते हैं इसलिए सर्विस करके समाचार लिखना है। 

गीत:- चलो चले माँ...... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) निश्चय बुद्धि बन पढ़ाई करनी है। कभी भी किसी बात में संशय नहीं उठाना है। निश्चय 
में ही विजय है। 

2) बाप का साथी बन स्वर्ग की स्थापना में पूरा मददगार बनना है। यज्ञ की सम्भाल करने 
वाला पक्का ब्राह्मण बनना है। 

वरदान:- समीप सम्बन्ध और सर्व प्राप्ति द्वारा सहजयोगी बनने वाले सर्व सिद्धि स्वरूप भव 

जो बच्चे सदा समीप सम्बन्ध में रहते हैं और सर्व प्राप्तियों का अनुभव करते हैं उन्हें सहजयोग 
का अनुभव होता है। वे सदा यही अनुभव करते कि मैं हूँ ही बाप का। उन्हें याद दिलाना नहीं 
पड़ता कि मैं आत्मा हूँ, मैं बाप का बच्चा हूँ। लेकिन सदा इसी नशे में प्राप्ति स्वरूप अनुभव 
करते, सदा श्रेष्ठ उमंग-उत्साह और खुशी में एकरस रहते, सदा शक्तिशाली स्थिति में रहते 
इसलिए सर्व सिद्धि स्वरूप बन जाते हैं। 

स्लोगन:- रूहानी शान में रहने वाले कभी हद के मान शान में नहीं आ सकते।