Sunday, January 27, 2013

Murli [27-01-2013]-Hindi

27-1-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:24-10-75 मधुबन 
हरेक ब्रह्मा-मुखवंशी ब्राह्मण चेतन सालिग्राम का मन्दिर है 
वरदान:- बाह्यमुखता के रसों की आकर्षण के बन्धन से मुक्त रहने वाले जीवनमुक्त भव 
बाह्यमुखता अर्थात् व्यक्ति के भाव-स्वभाव और व्यक्त भाव के वायब्रेशन, संकल्प, बोल और संबंध, सम्पर्क द्वारा एक दो को व्यर्थ की तरफ उकसाने वाले, सदा किसी न किसी प्रकार के व्यर्थ चिन्तन में रहने वाले, आन्तरिक सुख, शान्ति और शक्ति से दूर.....यह बाह्यमुखता के रस भी बाहर से बहुत आकर्षित करते हैं, इसलिए पहले इसको कैंची लगाओ। यह रस ही सूक्ष्म बंधन बन सफलता की मंजिल से दूर कर देते हैं, जब इन बंधनों से मुक्त बनो तब कहेंगे जीवनमुक्त। 
स्लोगन:- जो अच्छे बुरे कर्म करने वालों के प्रभाव के बंधन से मुक्त साक्षी व रहमदिल है वही तपस्वी है।