Thursday, January 3, 2013

Murli [3-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम्हें बेहद का पक्का सन्यासी बनना है, किसी भी चीज़ में लोभ वृत्ति नहीं रखनी है'' 
प्रश्न:- बाप की ताकत प्राप्त करने के लिए तुम बच्चे सबसे अच्छा कर्म कौन सा करते हो? 
उत्तर:- सबसे अच्छा कर्म है बाप पर अपना सब कुछ (तन-मन-धन सहित) अर्पण करना। जब तुम सब कुछ अर्पित करते हो तो बाप तुम्हें रिटर्न में इतनी ताकत देता, जिससे तुम सारे विश्व पर सुख-शान्ति का अटल अखण्ड राज्य कर सको। 
प्रश्न:- बाप ने कौन सी सेवा बच्चों को सिखलाई है जो कोई मनुष्य नहीं सिखला सकता? 
उत्तर:- रूहानी सेवा। तुम आत्माओं को विकारों की बीमारी से छुड़ाने के लिए ज्ञान का इंजेक्शन लगाते हो। तुम हो रूहानी सोशल वर्कर। मनुष्य जिस्मानी सेवा करते लेकिन ज्ञान इंजेक्शन देकर आत्मा को जागती-ज्योत नहीं बना सकते। यह सेवा बाप ही बच्चों को सिखलाते हैं। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) अमृतवेले के शुद्ध और शान्त समय में उठकर बाप को याद करना है। देह सहित सब कुछ भूलने का अभ्यास करना है। 
2) पास्ट सो पास्ट कर इस अन्तिम जन्म में बाप को पवित्रता की मदद करनी है। तन-मन-धन से भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में लगना है। 
वरदान:- सदा सेफ्टी के स्थान पर रह निर्भय और निश्चिंत रहने वाले बापदादा के दिलतख्तनशीन भव
बापदादा का दिलतख्त सर्वश्रेष्ठ स्थान है। जो सदा बाप के दिलतख्तनशीन रहते हैं वो ही सेफ रहते हैं। उनके पास माया आ नहीं सकती। ऐसी दिलतख्तनशीन आत्मा निर्भय है, निश्चिंत है - यह निश्चित है, अटल है। तो दिलतख्त पर बैठ जाओ। इसी नशे में रहो कि अभी हम बापदादा के दिलतख्तनशीन हैं और अनेक जन्म राज्य तख्तनशीन बनेंगे। इस रूहानी नशे में रहने से दु:ख की लहर आ नहीं सकती। 
स्लोगन:- बुद्धि पर किसी भी प्रकार का बोझ न हो तब कहेंगे डबल लाइट फरिश्ते।