Monday, January 14, 2013

Murli [14-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - क्रोध बहुत दु:खदाई है, यह अपने को भी दु:खी करता तो दूसरे को भी दु:खी करता, इसलिए श्रीमत पर इन भूतों पर विजय प्राप्त करो'' 
प्रश्न:- कल्प-कल्प का दाग किन बच्चों पर लगता है? उनकी गति क्या होती है? 
उत्तर:- जो अपने को बहुत होशियार समझते, श्रीमत पर पूरा नहीं चलते। अन्दर कोई न कोई विकार गुप्त व प्रत्यक्ष रूप में है, उसे निकालते नहीं। माया घेराव करती रहती है। ऐसे बच्चों पर कल्प-कल्प का दाग लग जाता है। उन्हें फिर अन्त में बहुत पछताना पड़ेगा। वह अपने को घाटा डालते हैं। 
गीत:- आज अन्धेरे में है इंसान... 
धारणा के लिये मुख्य सार:- 1) सर्विसएबुल बनने के लिए विकारों के अंश को भी समाप्त करना है। सर्विस के प्रति उछलते रहना है। 
2) हम ईश्वरीय सन्तान हैं, श्रीमत पर भारत को विष्णुपुरी बना रहे हैं, जहाँ सब पक्के वैष्णव होंगे... इस नशे में रहना है। 
वरदान:- छोटी-छोटी अवज्ञाओं के बोझ को समाप्त कर सदा समर्थ रहने वाले श्रेष्ठ चरित्रवान भव 
जैसे अमृतवेले उठने की आज्ञा है तो उठकर बैठ जाते हैं लेकिन विधि से सिद्धि को प्राप्त नहीं करते, स्वीट साइलेन्स के साथ निद्रा की साइलेन्स मिक्स हो जाती है। 2-बाप की आज्ञा है किसी भी आत्मा को न दु:ख दो, न दु:ख लो, इसमें दु:ख देते नहीं हैं लेकिन ले लेते हैं। 3- क्रोध नहीं करते लेकिन रोब में आ जाते हैं, ऐसी छोटी-छोटी अवज्ञायें मन को भारी कर देती हैं। अब इन्हें समाप्त कर आज्ञाकारी चरित्र का चित्र बनाओ तब कहेंगे सदा समर्थ चरित्रवान आत्मा। 
स्लोगन:- सम्मान मांगने के बजाए सबको सम्मान दो तो सबका सम्मान मिलता रहेगा।