Tuesday, January 1, 2013

Murli [1-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - यही संगमयुग है जब आत्मा और परमात्मा का संगम (मेल) होता है, सतगुरू एक ही बार आकर बच्चों को सत्य ज्ञान दे, सत्य बोलना सिखाते हैं'' 
प्रश्न:- किन बच्चों की अवस्था बहुत फर्स्टक्लास रहती है? 
उत्तर:- जिनकी बुद्धि में रहता यह सब कुछ बाबा का है। हर कदम श्रीमत लेने वाले, पूरा त्याग करने वाले बच्चों की अवस्था बहुत फर्स्ट क्लास रहती है। यात्रा लम्बी है इसलिए ऊंचे बाप की ऊंची मत लेते रहना है। 
प्रश्न:- मुरली सुनते समय अपार सुख किन बच्चों को भासता है? 
उत्तर:- जो समझते हैं हम शिवबाबा की मुरली सुन रहे हैं। यह मुरली शिवबाबा ने ब्रह्मा तन से सुनाई है। मोस्ट बिलवेड बाबा हमें सदा सुखी मनुष्य से देवता बनाने के लिए यह सुना रहे हैं। मुरली सुनते यह स्मृति रहे तो सुख भासेगा। 
गीत:- प्रीतम आन मिलो... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) बाप द्वारा जो सुख शान्ति का खजाना मिला है वह सबको देना है। ज्ञान से अपनी अवस्था जमाने की मेहनत करनी है। 
2) दैवी गुण धारण करने के लिए देहभान को भूल अपने को आत्मा समझ अशरीरी बन एक प्रीतम को याद करना है। 
वरदान:- दिलाराम बाप की याद द्वारा तीनों कालों को अच्छा बनाने वाले इच्छा मुक्त भव 
जिन बच्चों की दिल में एक दिलाराम बाप की याद है वह सदा वाह-वाह के गीत गाते रहते हैं, उनके मन से स्वप्न में भी ''हाय'' शब्द नहीं निकल सकता क्योंकि जो हुआ वह भी वाह, जो हो रहा है वह भी वाह और जो होना है वह भी वाह। तीनों ही काल वाह-वाह है अर्थात् अच्छे ते अच्छा है। जहाँ सब अच्छा है वहाँ कोई इच्छा उत्पन्न नहीं हो सकती क्योंकि अच्छा तब कहेंगे जब सब प्राप्तियाँ हैं। प्राप्ति सम्पन्न बनना ही इच्छा मुक्त बनना है। 
स्लोगन:- संस्कारों को ऐसा शीतल बना लो जो जोश वा रोब के संस्कार इमर्ज ही न हों।