Friday, January 25, 2013

Murli [25-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - जितना-जितना दूसरों को ज्ञान सुनायेंगे उतना तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान रिफाइन होता जायेगा, इसलिए सर्विस जरूर करनी है'' 
प्रश्न:- बाप के पास दो प्रकार के बच्चे कौन से हैं, उन दोनों में अन्तर क्या है? 
उत्तर:- बाप के पास एक हैं लगे (सौतेले) बच्चे, दूसरे हैं सगे (मातेले) बच्चे। लगे बच्चे - मुख से सिर्फ बाबा मम्मा कहते लेकिन श्रीमत पर पूरा नहीं चल सकते। पूरा-पूरा बलिहार नहीं जाते। सगे बच्चे तो तन-मन धन से पूर्ण समर्पण अर्थात् ट्रस्टी होते हैं। कदम-कदम श्रीमत पर चलते हैं। लगे बच्चे सेवा न करने के कारण चलते-चलते गिर पड़ते हैं। संशय आ जाता है। सगे बच्चे पूरा निश्चयबुद्धि होते हैं। 
गीत:- बचपन के दिन भुला न देना... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) अविनाशी ज्ञान रत्नों का महादानी बनना है। तन-मन-धन से भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करनी है। 
2) कोई भी डिस्ट्रेक्टिव (विनाशकारी) कार्य नहीं करना है। निरन्तर याद के अभ्यास में रहना है। 
वरदान:- बैलेन्स की विशेषता को धारण कर सर्व को ब्लैसिंग देने वाले शक्तिशाली, सेवाधारी भव 
अभी आप शक्तिशाली आत्माओं की सेवा है सर्व को ब्लैसिंग देना। चाहे नयनों से दो, चाहे मस्तकमणी द्वारा दो। जैसे साकार को लास्ट कर्मातीत स्टेज के समय देखा-कैसे बैलेन्स की विशेषता थी और ब्लैसिंग की कमाल थी। तो फालो फादर करो - यही सहज और शक्तिशाली सेवा है। इसमें समय भी कम, मेहनत भी कम और रिजल्ट ज्यादा निकलती है। तो आत्मिक स्वरूप से सबको ब्लैसिंग देते चलो। 
स्लोगन:- विस्तार को सेकण्ड में समाकर ज्ञान के सार का अनुभव कराना ही लाइट-माइट हाउस बनना है।