मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - बाप को याद करने की खूब मेहनत करो, क्योंकि तुम्हें सच्चा सोना बनना है''
प्रश्न:- अच्छे पुरुषार्थियों की निशानी क्या होगी?
उत्तर:- जो अच्छे पुरुषार्थी होंगे वह कदम-कदम श्रीमत पर चलेंगे। सदा श्रीमत पर चलने वाले ही ऊंच पद पाते हैं। बाबा बच्चों को सदा श्रीमत पर चलने के लिए क्यों कहता? क्योंकि वही एक सच्चा-सच्चा माशूक है। बाकी सब उनके आशिक हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) ज्ञान सागर से बादल भर ज्ञान वर्षा करनी है। जितना हो सके याद की यात्रा को भी बढ़ाना है। याद से ही सच्चा सोना बनना है।
2) श्रीमत पर चल अच्छे मैनर्स और दैवीगुण धारण करने हैं। सचखण्ड में चलने के लिए बहुत-बहुत सच्चा बनना है।
वरदान:- समय की रफ्तार प्रमाण सर्व प्राप्तियों से भरपूर रह मायाजीत बनने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव
बापदादा ने जो भी प्राप्तियाँ कराई हैं, उन सर्व प्राप्तियों को स्वयं में जमा कर भरपूर रहो, कोई भी कमी न रहे। जहाँ भरपूरता में कमी है वहाँ माया हिलाती है। मायाजीत बनने का सहज साधन है - सदा प्राप्तियों से भरपूर रहना। कोई एक भी प्राप्ति से वंचित नहीं रहो, सर्व प्राप्ति हों। समय की रफ्तार प्रमाण कोई भी समय कुछ भी हो सकता है इसलिए तीव्र पुरुषार्थी बन अभी से भरपूर बनो। अब नहीं तो कभी नहीं।
स्लोगन:- सत्यता और निर्भयता की शक्ति साथ हो तो कोई भी कारण हिला नहीं सकता।
प्रश्न:- अच्छे पुरुषार्थियों की निशानी क्या होगी?
उत्तर:- जो अच्छे पुरुषार्थी होंगे वह कदम-कदम श्रीमत पर चलेंगे। सदा श्रीमत पर चलने वाले ही ऊंच पद पाते हैं। बाबा बच्चों को सदा श्रीमत पर चलने के लिए क्यों कहता? क्योंकि वही एक सच्चा-सच्चा माशूक है। बाकी सब उनके आशिक हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) ज्ञान सागर से बादल भर ज्ञान वर्षा करनी है। जितना हो सके याद की यात्रा को भी बढ़ाना है। याद से ही सच्चा सोना बनना है।
2) श्रीमत पर चल अच्छे मैनर्स और दैवीगुण धारण करने हैं। सचखण्ड में चलने के लिए बहुत-बहुत सच्चा बनना है।
वरदान:- समय की रफ्तार प्रमाण सर्व प्राप्तियों से भरपूर रह मायाजीत बनने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव
बापदादा ने जो भी प्राप्तियाँ कराई हैं, उन सर्व प्राप्तियों को स्वयं में जमा कर भरपूर रहो, कोई भी कमी न रहे। जहाँ भरपूरता में कमी है वहाँ माया हिलाती है। मायाजीत बनने का सहज साधन है - सदा प्राप्तियों से भरपूर रहना। कोई एक भी प्राप्ति से वंचित नहीं रहो, सर्व प्राप्ति हों। समय की रफ्तार प्रमाण कोई भी समय कुछ भी हो सकता है इसलिए तीव्र पुरुषार्थी बन अभी से भरपूर बनो। अब नहीं तो कभी नहीं।