Thursday, January 24, 2013

Murli [24-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- मीठे बच्चे - अभी तुम्हारी काया बिल्कुल पुरानी हो गई है, बाप आये हैं तुम्हारी काया कल्प वृक्ष समान बनाने, तुम आधाकल्प के लिए अमर बनते हो 
प्रश्न:- इस वन्डरफुल नाटक में कौन सी बात बहुत ही समझने की है? 
उत्तर:- इस नाटक में जो भी एक्टर्स (पार्टधारी) हैं उनका चित्र केवल एक बार ही देख सकते फिर वही चित्र 5 हजार वर्ष के बाद देखेंगे। 84 जन्मों के 84 चित्र बनेंगे और सभी भिन्न-भिन्न होंगे। कर्म भी किसके साथ मिल नहीं सकते। जिसने जो कर्म किये वह फिर 5 हजार वर्ष बाद वही कर्म करेंगे, यह बहुत ही समझने की बातें हैं। तुम बच्चों की बुद्धि का ताला अभी खुला है। तुम यह राज़ सबको समझा सकते हो। 
गीत:- भोलेनाथ से निराला.... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) हम निराकारी और साकारी दोनों बाप के सिकीलधे नूरे रत्न हैं, हम शिवबाबा के जीते जी वारिस बने हैं, इसी नशे में रहना है। 
2) योगबल से विश्व की राजाई लेनी है, पवित्रता की राखी बांधी है तो सहन भी करना है। पतित कभी नहीं बनना है। 
वरदान:- सुख के सागर बाप की स्मृति द्वारा दु:ख की दुनिया में रहते भी सुख स्वरूप भव 
सदा सुख के सागर बाप की स्मृति में रहो तो सुख स्वरूप बन जायेंगे। चाहे दुनिया में कितना भी दु:ख अशान्ति का प्रभाव हो लेकिन आप न्यारे और प्यारे हो, सुख के सागर के साथ हो इसलिए सदा सुखी, सदा सुखों के झूले में झूलने वाले हो। मास्टर सुख के सागर बच्चों को दु:ख का संकल्प भी नहीं आ सकता क्योंकि दु:ख की दुनिया से किनारा कर संगम पर पहुंच गये। सब रस्सियां टूट गई तो सुख के सागर में लहराते रहो। 
स्लोगन:- मन और बुद्धि को एक ही पावरफुल स्थिति में स्थित करना ही एकान्तवासी बनना है।