Tuesday, January 8, 2013

Murli [8-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम हो मोस्ट लकी बच्चे क्योंकि तुम्हारे सम्मुख स्वयं बाप है, वह तुम्हें सुना रहे हैं'' 
प्रश्न:- भक्ति मार्ग का कौन सा संस्कार अभी तुम बच्चों में नहीं हो सकता? क्यों? 
उत्तर:- भक्ति मार्ग में जिस भी देवी या देवता के पास जायेंगे उससे कुछ न कुछ मांगते ही रहेंगे। किसी से धन मांगेंगे, किसी से पुत्र मांगेगे। यह मांगने के संस्कार अभी तुम बच्चों में नहीं हो सकते क्योंकि बाप ने संगम पर तुम्हें कामधेनु बनाया है। तुम बाप समान सबकी मनोकामनायें पूर्ण करने वाले हो। तुम स्वयं के प्रति कोई आशा नहीं रख सकते। तुम जानते हो फल देने वाला एक ही दाता बाप है, जिसे याद करने से सब प्राप्तियां हो जाती हैं इसलिए मांगने के संस्कार समाप्त हो जाते हैं। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) कृष्णपुरी में चलने के लिए पुरुषार्थ बहुत अच्छा करना है। शूद्र पन के सस्कारों को परिवर्तन कर पक्का ब्राह्मण बनना है। 
2) बुद्धिबल से याद की सीढ़ी पर चढ़ना है। सीढ़ी चढ़ने से ही अपार सुख का अनुभव होगा। 
वरदान:- समर्थ संकल्पों द्वारा जमा का खाता बढ़ाने वाले होलीहंस भव 
जैसे हंस कंकड़ और रत्न को अलग करते हैं, ऐसे आप होलीहंस अर्थात् समर्थ और व्यर्थ को परखने वाले। जैसे हंस कभी कंकड़ को चुग नहीं सकते, अलग करके रख देते, छोड़ देते, ग्रहण नहीं करते। ऐसे आप होलीहंस व्यर्थ को छोड़ समर्थ संकल्पों को धारण करते हो। व्यर्थ तो बहुत समय सुना, बोला किया लेकिन उसके परिणाम में सब कुछ गंवाया। अब गंवाने वाले नहीं, जमा का खाता बढ़ाने वाले हो।

स्लोगन:- स्वयं को ईश्वरीय मर्यादाओं के कंगन में बांध लो तो सर्व बंधन समाप्त हो जायेंगे।