Saturday, January 19, 2013

Murli [19-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम्हारा यह मरजीवा जन्म है, तुम ईश्वर बाप से वर्सा ले रहे हो, तुम्हें बहुत बड़ी लाटरी मिली है, इसलिए अपार खुशी में रहना है'' 
प्रश्न:- अपने आपको कौन सी समझानी दो तो चिन्ता समाप्त हो जायेगी? गुस्सा चला जायेगा? 
उत्तर:- हम ईश्वर की सन्तान हैं, हमें तो बाप समान मीठा बनना है। जैसे बाबा मीठे रूप से समझानी देते, गुस्सा नहीं करते। ऐसे हमें भी आपस में मीठा रहना है। लूनपानी नहीं होना है क्योंकि जानते हैं जो सेकेण्ड पास हुआ, वह ड्रामा में पार्ट था। चिन्ता किस बात की करें। ऐसे-ऐसे अपने आपको समझाओ तो चिन्ता खत्म हो जायेगी। गुस्सा भाग जायेगा। 
गीत:- यही बहार है... 
धारणा के लिये मुख्य सार:- 1) अपनी चलन वा दैवीगुणों से बाप का नाम बाला करना है। आसुरी अवगुण निकाल देने हैं। 
2) इस पुराने जड़जड़ीभूत शरीर में ममत्व नहीं रखना है। नये सतयुगी शरीर को याद करना है। पवित्रता की गुप्त मदद करनी है। 
वरदान:- हर बात में मुख से वा मन से बाबा-बाबा कह मैं पन को समाप्त करने वाले सफलता मूर्त भव 
आप अनेक आत्माओं के उमंग-उत्साह को बढ़ाने के निमित्त बच्चे कभी भी मैं पन में नहीं आना। मैंने किया, नहीं। बाबा ने निमित्त बनाया। मैं के बजाए मेरा बाबा, मैने किया, मैने कहा, यह नहीं। बाबा ने कराया, बाबा ने किया तो सफलतामूर्त बन जायेंगे। जितना आपके मुख से बाबा-बाबा निकलेगा उतना अनेकों को बाबा का बना सकेंगे। सबके मुख से यही निकले कि इनकी तात और बात में बस बाबा ही है। 
स्लोगन:- संगमयुग पर अपने तन-मन-धन को सफल करना और सर्व खजानों को बढ़ाना ही समझदारी है।