13-01-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:20-10-75 मधुबन
''परहेज द्वारा संगमयुग के सर्व सुखों की अनुभूति''
वरदान:- बाप के कदम पर कदम रखते हुए परमात्म दुआयें प्राप्त करने वाले आज्ञाकारी भव
आज्ञाकारी अर्थात् बापदादा के आज्ञा रूपी कदम पर कदम रखने वाले। ऐसे आज्ञाकारी को ही सर्व संबंधों से परमात्म दुआयें मिलती हैं। यह भी नियम है। साधारण रीति भी कोई किसी के डायरेक्शन प्रमाण हाँ जी कहकर कार्य करते हैं तो जिसका कार्य करते उसकी दुआयें उनको जरूर मिलती हैं। यह तो परमात्म दुआयें हैं जो आज्ञाकारी आत्माओं को सदा डबल लाइट बना देती हैं।
स्लोगन:- दिव्यता और अलौकिकता को अपने जीवन का श्रंगार बना लो तो साधारणता समाप्त हो जायेगी।
''परहेज द्वारा संगमयुग के सर्व सुखों की अनुभूति''
वरदान:- बाप के कदम पर कदम रखते हुए परमात्म दुआयें प्राप्त करने वाले आज्ञाकारी भव
आज्ञाकारी अर्थात् बापदादा के आज्ञा रूपी कदम पर कदम रखने वाले। ऐसे आज्ञाकारी को ही सर्व संबंधों से परमात्म दुआयें मिलती हैं। यह भी नियम है। साधारण रीति भी कोई किसी के डायरेक्शन प्रमाण हाँ जी कहकर कार्य करते हैं तो जिसका कार्य करते उसकी दुआयें उनको जरूर मिलती हैं। यह तो परमात्म दुआयें हैं जो आज्ञाकारी आत्माओं को सदा डबल लाइट बना देती हैं।
स्लोगन:- दिव्यता और अलौकिकता को अपने जीवन का श्रंगार बना लो तो साधारणता समाप्त हो जायेगी।