Monday, January 7, 2013

Murli [7-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम ईश्वरीय सन्तान हो, तुम्हारा यह अमूल्य जीवन है, तुम्हारा ईश्वरीय कुल बहुत ही श्रेष्ठ है। स्वयं भगवान ने तुम्हें एडाप्ट किया है, इसी नशे में रहो'' 
प्रश्न:- शरीर का भान टूट जाए - उसके लिए किस अभ्यास की आवश्यकता है? 
उत्तर:- चलते फिरते अभ्यास करो कि इस शरीर में हम थोड़े टाइम के लिए निमित्त मात्र हैं। जैसे बाप थोड़े समय के लिए शरीर में आये हैं ऐसे हम आत्मा ने भी श्रीमत पर भारत को स्वर्ग बनाने के लिए यह शरीर धारण किया है। बाप और वर्सा याद रहे तो शरीर का भान टूट जायेगा, इसको ही कहा जाता है सेकण्ड में जीवनमुक्ति। 2- अमृतवेले उठ बाप से मीठी-मीठी बातें करो तो शरीर का भान खत्म होता जायेगा। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) सदा इस नशे में रहना है कि हम बाप के साथ स्वर्ग की स्थापना के निमित्त हैं। बाप हमें विश्व का मालिक बनाते हैं। 
2) बाप समान सुख देने वाला बनना है। कभी किसी को दु:खी नहीं करना है। सबको सच्चा रास्ता बताना है। अपनी उन्नति के लिए अपना चार्ट रखना है। 
वरदान:- संगमयुग पर श्रेष्ठ मत द्वारा श्रेष्ठ गति को प्राप्त करने वाले प्रत्यक्ष फल के अधिकारी भव 
संगमयुग पर श्रेष्ठ मत के आधार पर जो श्रेष्ठ कर्म करते हो उसका प्रत्यक्षफल अर्थात् सफलता अभी ही प्राप्त होती है, इसलिए कहते हैं जैसी मत वैसी गत। वो लोग समझते हैं मरने के बाद गति मिलेगी लेकिन आप बच्चों को इस अन्तिम मरजीवा जन्म में हर कर्म की सफलता का फल अर्थात् गति प्राप्त होने का वरदान मिला हुआ है। आप भविष्य की इंतजार में नहीं रहते। अभी-अभी करते और अभी-अभी प्राप्ति का अधिकार मिल जाता - इसको ही कहते हैं रचयिता का रचना से सच्चा प्यार। 
स्लोगन:- दृढ़ संकल्प से हर कदम में बाप को फॉलो करने वाले ही सम्पन्न बनते हैं।