Saturday, January 5, 2013

Murli [5-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - एक मनमनाभव के महामन्त्र से तुम समझदार बनते हो, यही मन्त्र सब पापों से मुक्त करने वाला है'' 
प्रश्न:- सारे ज्ञान का सार क्या है, मनमनाभव रहने वालों की निशानी क्या होगी? 
उत्तर:- सारे ज्ञान का सार है कि अब हमको वापिस घर जाना है। यह छी-छी दुनिया है, इसको छोड़ हमें अपने घर चलना है। अगर यह याद रहे तो भी मनमनाभव हुआ। मनमनाभव रहने वाले बच्चे सदा ज्ञान का विचार सागर मंथन करते रहेंगे। वह बाबा से मीठी-मीठी रूहरिहान करेंगे। 
प्रश्न:- किस आदत के वशीभूत आत्मा बाप की याद में नहीं रह सकती? 
उत्तर:- अगर गन्दे चित्र देखने की, गन्दे समाचार पढ़ने की आदत पड़ी तो बाप की याद रह नहीं सकती। सिनेमा है दोज़क का द्वार, जो वृत्तियों को खराब कर देता है। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) सुखदाता के हम बच्चे हैं, हमें सबको सुख देना है। मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दु:ख नहीं देना है। 
2) पढ़ाई और पढ़ाने वाला दोनों ही वन्डरफुल हैं। ऐसी वन्डरफुल पढ़ाई को कभी भी मिस नहीं करना है। अबसेन्ट नहीं होना है। 
वरदान:- ब्राह्मण जीवन में सदा मेहनत से मुक्त रहने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव 
इस ब्राह्मण जीवन में दाता, विधाता और वरदाता - तीनों संबंध से इतने सम्पन्न बन जाते हो जो बिना मेहनत रूहानी मौज में रह सकते हो। बाप को दाता के रूप में याद करो तो रूहानी अधिकारीपन का नशा रहेगा। शिक्षक के रूप में याद करो तो गॉडली स्टूडेन्ट हूँ, इस भाग्य का नशा रहेगा और सतगुरू हर कदम में वरदानों से चला रहा है। हर कर्म में श्रेष्ठ मत-वरदाता का वरदान है। ऐसे सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न रहो तो मेहनत से मुक्त हो जायेंगे। 
स्लोगन:- बुद्धि का हल्कापन व महीनता ही सबसे सुन्दर पर्सनालिटी है।