Friday, January 4, 2013

Murli [4-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - पारसबुद्धि बनने के लिए बाप जो समझाते हैं उसे अच्छी तरह से समझना है, स्वयं में धारणा कर दूसरों को कराना है'' 
प्रश्न:- कौन सा एक राज़ बहुत ही गुह्य, गोपनीय और समझने का है? 
उत्तर:- निराकार बाप सभी का मात-पिता कैसे बनते हैं, वह सृष्टि की रचना किस विधि से करते हैं, यह बहुत ही गुह्य और गोपनीय राज़ है। निराकार बाप माता बिगर सृष्टि तो रच नहीं सकते। कैसे वह शरीर धारण कर, उसमें प्रवेश कर उनके मुख से बच्चे एडाप्ट करते हैं, यह ब्रह्मा पिता भी है तो माता भी है - यह बात बहुत ही समझकर सिमरण करने वा स्मृति में रखने की है। 
गीत:- तुम्हीं हो माता.... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) बाप से 21 पीढ़ी का वर्सा लेने के लिए निरन्तर बाप और वर्से को याद करने का पुरुषार्थ करना है। किसी भी देहधारी को याद नहीं करना है। 
2) बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिराते रहना है। हम पूज्य थे, फिर पुजारी बनें, 84 जन्मों का चक्र पूरा किया, फिर से ड्रामा रिपीट होना है, हमें पुजारी से पूज्य बनना है -यह स्मृति ही स्वदर्शन चक्र है। 
वरदान:- सर्व फरियादों के फाइल को समाप्त कर फाइन बनने वाले कर्मयोगी भव 
जैसे आत्मा और शरीर कम्बाइन्ड है तो जीवन है, ऐसे कर्म और योग कम्बाइन्ड हो। 2-3 घण्टा योग लगाने वाले योगी नहीं, लेकिन योगी जीवन वाले। उनका योग स्वत: और सहज होता है, उनका योग टूटता ही नहीं जो मेहनत करनी पड़े। उन्हें कोई भी फरियाद करने की आवश्यकता नहीं। याद में रहने से सब कार्य स्वत: सफल हो जाते हैं। फाइन बनने वाले के सब फाइल खत्म हो जाते हैं, क्योंकि योगी जीवन सर्व प्राप्तियों की जीवन है। 
स्लोगन:- हर समय करावनहार बाप याद रहे तो निरन्तर योगी बन जायेंगे।