Monday, January 21, 2013

Murli [21-01-2013]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - बुद्धि का योग बाप से लगाते रहो तो लम्बी मुसाफिरी को सहज ही पार कर लेंगे'' 
प्रश्न:- बाप पर कुर्बान जाने के लिए किस बात का त्याग जरूरी है? 
उत्तर:- देह-अभिमान का। देह-अभिमान आया तो मरा, व्यभिचारी हुआ इसलिए कुर्बान होने में बच्चों का हृदय विदीरण होता है। जब कुर्बान हो गये तो उस एक की ही याद रहे। उन पर ही बलिहार जाना है, उनकी ही श्रीमत पर चलना है। 
गीत:- रात के राही.... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) याद की यात्रा में थकना नहीं है। ऐसी सच्ची याद का अभ्यास करना है जो अन्त समय में बाप के सिवाए कोई भी याद न आये। 
2) सच्चे बाप की मत पर चल सच्ची कमाई करनी है। अपनी मनमत पर नहीं चलना है। सद्गुरू की निंदा कभी भी नहीं करानी है। काम, क्रोध के वश कोई उल्टा काम नहीं करना है। 
वरदान:- संकल्प शक्ति द्वारा हर कार्य में सफल होने की सिद्धि प्राप्त करने वाले सफलतामूर्त भव 
संकल्प शक्ति द्वारा बहुत से कार्य सहज सफल होने की सिद्धि का अनुभव होता है। जैसे स्थूल आकाश में भिन्न-भिन्न सितारे देखते हो ऐसे विश्व के वायुमण्डल के आकाश में चारों ओर सफलता के चमकते हुए सितारे तब दिखाई देंगे जब आपके संकल्प श्रेष्ठ और शक्तिशाली होंगे, सदा एक बाप के अन्त में खोये रहेंगे, आपके यह रूहानी नयन, रूहानी मूर्त दिव्य दर्पण बनेंगे। ऐसे दिव्य दर्पण ही अनेक आत्माओं को आत्मिक स्वरूप का अनुभव कराने वाले सफलतामूर्त होते हैं। 
स्लोगन:- निरन्तर ईश्वरीय सुखों का अनुभव करने वाले ही बेफिक्र बादशाह हैं।