मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - यह सृष्टि वा जमाना दु:ख का है इससे नष्टोमोहा बनो, नये जमाने को याद करो, बुद्धियोग इस दुनिया से निकाल नई दुनिया से लगाओ''
प्रश्न:- कृष्णपुरी में चलने के लिए तुम बच्चे कौन सी तैयारी करते और कराते हो?
उत्तर:- कृष्णपुरी में चलने के लिए सिर्फ इस अन्तिम जन्म में सब विकारों को छोड़ पावन बनना और दूसरों को बनाना है। पावन बनना ही दु:खधाम से सुखधाम में जाने की तैयारी है। तुम सबको यही सन्देश दो कि यह डर्टी दुनिया है, इससे बुद्धियोग निकालो तो नई सतयुगी दुनिया में चले जायेंगे।
गीत:- मुझको सहारा देने वाले....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह के सब धर्मों को छोड़, अशरीरी आत्मा समझ एक बाप को याद करना है। योग और ज्ञान की धारणा से आत्मा को पावन बनाना है।
2) बाप जो नॉलेज देते हैं, उस पर विचार सागर मंथन कर सबको बाप का पैगाम देना है। बुद्धि को भटकाना नहीं है।
वरदान:- एक की स्मृति द्वारा एकरस स्थिति बनाने वाले ऊंच पद के अधिकारी भव
एकरस स्थिति बनाने के लिए सदा एक की स्मृति में स्थित रहो। अगर एक के बजाए दूसरा कोई भी याद आया तो एकरस के बजाए बहुरस स्थिति हो जायेगी। जिस समय और कोई रस आकर्षित करता है, उसी समय यदि आपका अन्तिम समय आ जाए तो ऊंच पद नहीं मिल सकता, इसलिए हर सेकण्ड अटेन्शन रखो। सदैव एक का पाठ पक्का हो, एक बाप, एक ही संगम का समय है और एकरस स्थिति में रहना है तो ऊंच पद का अधिकार मिल जायेगा।
स्लोगन:- शुद्ध सकंल्पों का भोजन स्वीकार करने वाले ही सच्चे-सच्चे वैष्णव हैं।
प्रश्न:- कृष्णपुरी में चलने के लिए तुम बच्चे कौन सी तैयारी करते और कराते हो?
उत्तर:- कृष्णपुरी में चलने के लिए सिर्फ इस अन्तिम जन्म में सब विकारों को छोड़ पावन बनना और दूसरों को बनाना है। पावन बनना ही दु:खधाम से सुखधाम में जाने की तैयारी है। तुम सबको यही सन्देश दो कि यह डर्टी दुनिया है, इससे बुद्धियोग निकालो तो नई सतयुगी दुनिया में चले जायेंगे।
गीत:- मुझको सहारा देने वाले....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह के सब धर्मों को छोड़, अशरीरी आत्मा समझ एक बाप को याद करना है। योग और ज्ञान की धारणा से आत्मा को पावन बनाना है।
2) बाप जो नॉलेज देते हैं, उस पर विचार सागर मंथन कर सबको बाप का पैगाम देना है। बुद्धि को भटकाना नहीं है।
वरदान:- एक की स्मृति द्वारा एकरस स्थिति बनाने वाले ऊंच पद के अधिकारी भव
एकरस स्थिति बनाने के लिए सदा एक की स्मृति में स्थित रहो। अगर एक के बजाए दूसरा कोई भी याद आया तो एकरस के बजाए बहुरस स्थिति हो जायेगी। जिस समय और कोई रस आकर्षित करता है, उसी समय यदि आपका अन्तिम समय आ जाए तो ऊंच पद नहीं मिल सकता, इसलिए हर सेकण्ड अटेन्शन रखो। सदैव एक का पाठ पक्का हो, एक बाप, एक ही संगम का समय है और एकरस स्थिति में रहना है तो ऊंच पद का अधिकार मिल जायेगा।