Saturday, December 29, 2012

Murli [29-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - शिवबाबा इस समय तुम्हारे सामने हाज़िर-नाज़िर है, तुम्हें पहले यह निश्चय चाहिए कि हमको पढ़ाने वाला स्वयं शिवबाबा है, कोई देहधारी नहीं'' 
प्रश्न:- बाप से कौन सा प्रश्न पूछना भी जैसे बाप की इन्सल्ट है? 
उत्तर:- बच्चे बाप से पूछते हैं - बाबा आपकी इस तन में पधरामणी कब तक है वा विनाश कब होगा? बाबा कहते-यह जैसे तुम मेरी इन्सल्ट करते हो। मेहमान से पूछना कि आप बाकी कितने दिन रहेंगे? यह तो इन्सल्ट हुई ना! कहेंगे क्या मैं तुम्हारे लिए बोझ हो पड़ा हूँ। शिवबाबा तो जब तक यहाँ है-तब तक तुम बच्चे खुश हो ना इसलिए ऐसे प्रश्न बाप से नहीं पूछने चाहिए। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) योगबल से गुप्त रूप से भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करनी है, रूहानी सेवाधारी बनना है। 
2) हमारा सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल है, हम स्वदर्शन चक्रधारी हैं। इस नशे में रहना है। किसी भी बात में संशय नहीं उठाना है। 
वरदान:- अकल्याण की सीन में भी कल्याण का अनुभव कर सदा अचल-अटल रहने वाले निश्चयबुद्धि भव 
ड्रामा में जो भी होता है-वह कल्याणकारी युग के कारण सब कल्याणकारी है, अकल्याण में भी कल्याण दिखाई दे तब कहेंगे निश्चयबुद्धि। परिस्थिति के समय ही निश्चय के स्थिति की परख होती है। निश्चय का अर्थ है-संशय का नाम-निशान न हो। कुछ भी हो जाए लेकिन निश्चयबुद्धि को कोई भी परिस्थिति हलचल में ला नहीं सकती। हलचल में आना माना कमजोर होना। 
स्लोगन:- परमात्म प्यार के पात्र बनो तो सहज ही मायाजीत बन जायेंगे।