Tuesday, December 25, 2012

Murli [25-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सदा यह स्मृति में रहे कि हमारा यह अन्तिम 84 वाँ जन्म है, अब वापिस घर जाना है, फिर अपने राज्य में आना है'' 
प्रश्न:- बाप पक्का सौदागर है, कैसे? 
उत्तर:- जो अभी साहूकार हैं, जिन्हें पैसे का नशा है, बाबा कहते हैं, तुम यहाँ की अपनी राजाई सम्भालो। उनका बाप स्वीकार नहीं करता है। गरीबों को ही बाबा ऊंच ते ऊंच बनाते हैं। गरीबों की पाई-पाई सफल कर उन्हें साहूकार बना देते इसलिए बाप को पक्का सौदागर कहा जाता है। 
प्रश्न:- बच्चों में कौन सी सुस्ती बिल्कुल नहीं होनी चाहिए? 
उत्तर:- कई बच्चे मुरली सुनने वा पढ़ने में सुस्ती करते हैं। मुरली मिस कर देते हैं। बाबा कहते हैं बच्चे इसमें सुस्त मत बनो। तुम्हें एक भी मुरली मिस नहीं करनी है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) सभी को राज़ी करना है। मूडी दिमाग वाला नहीं बनना है। बहुत-बहुत मीठा बनना है। अच्छे मैनर्स सीखने और सिखलाने हैं। 
2) हर कदम पर सुप्रीम सर्जन से राय लेनी है। श्रीमत पर चलते रहना है। सेन्सीबुल बन हर प्वाइंटस स्वयं में धारण करनी है। 
वरदान:- मन-बुद्धि-संस्कार वा सर्व कर्मेन्द्रियों को नीति प्रमाण चलाने वाले स्वराज्य अधिकारी भव 
स्वराज्य अधिकारी आत्मायें अपने योग की शक्ति द्वारा हर कर्मेन्द्रिय को ऑर्डर के अन्दर चलाती हैं। न सिर्फ यह स्थूल कर्मेन्द्रियां लेकिन मन-बुद्धि-संस्कार भी राज्य अधिकारी के डायरेक्शन अथवा नीति प्रमाण चलते हैं। वे कभी संस्कारों के वश नहीं होते लेकिन संस्कारों को अपने वश में कर श्रेष्ठ नीति से कार्य में लगाते हैं, श्रेष्ठ संस्कार प्रमाण सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हैं। स्वराज्य अधिकारी आत्मा को स्वप्न में भी धोखा नहीं मिल सकता। 
स्लोगन:- निर्माणता की विशेषता को धारण कर लो तो सफलता मिलती रहेगी।