Friday, December 28, 2012

Murli [28-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - इधर-उधर बैठकर फालतू बातों में अपना टाइम वेस्ट मत करो, बाप की याद में रहो तो टाइम आबाद हो जायेगा'' 
प्रश्न:- बाप का शो (नाम) कौन से बच्चे निकाल सकते हैं? 
उत्तर:- जो बाप समान सेवा करते हैं। अगर हर कर्म बाप के समान हो तो बहुत बड़ा फल मिल जायेगा। बाबा हम बच्चों को आप समान बनाने के लिए पुरुषार्थ करा रहे हैं। 
प्रश्न:- अन्तर्मुखी किसे कहेंगे? तुम्हारी अन्तर्मुखता निराली है कैसे? 
उत्तर:- सोल कान्सेस होकर रहना ही अन्तर्मुखी बनना है। अन्दर जो आत्मा है उनको सब कुछ बाप से ही सुनना है, एक बाप से ही बुद्धियोग रख गुणवान बनना है, यही है निराली अन्तर्मुखता। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) अन्तर्मुखी बन एक बाप से ही सुनना है। एक बाप के साथ बुद्धियोग रख गुणवान बनना है। बाहरमुखता में नहीं आना है। 
2) रूहानी बाप की याद के नशे में रह भोजन बनाना वा खाना है। पक्का योगी बनना है। 
वरदान:- बाप की समीपता के अनुभव द्वारा स्वप्न में भी विजयी बनने वाले समान साथी भव 
भक्ति मार्ग में समीप रहने के लिए सतसंग का महत्व बताते हैं। संग अर्थात् समीप वही रह सकता है जो समान है। जो संकल्प में भी सदा साथ रहते हैं वह इतने विजयी होते हैं जो संकल्प में तो क्या लेकिन स्वप्न मात्र भी माया वार नहीं कर सकती। सदा मायाजीत अर्थात् सदा बाप के समीप संग में रहने वाले। कोई की ताकत नहीं जो बाप के संग से अलग कर सके। 
स्लोगन:- सदा निर्विघ्न रहना और सर्व को निर्विघ्न बनाना-यही यथार्थ सेवा है।